नवरात्र: आज करें स्कंदमाता की पूजा, ध्यान रहे कि भूल से भी न हों ये गलतियां
नई दिल्ली. नवरात्र पंचमी तिथि को स्कंदमाता का पूजन होता है. आज स्कंद माता का पूजन अवश्य करें. इस समय कोरोना नामक महामारी फैली हुई है, इसलिए माता से महामारी निवारण की प्रार्थना करें.
पंडित सकला नंद बलोदी कहते हैं कि मां अपने बच्चों के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं इसलिए पूरे मन से दिन में संकल्प लेकर महामारी निवारण मंत्र अवश्य पढ़ें. जाप भी कर सकते हैं.
“उपसर्गान शेषांस्तु महामारी समुदभवान। तथा त्रिविधमुत्पातं माहात्म्य शमयेन्मम:।।”
यह दुर्गा सप्तशती के 12 अध्याय का आंठवा श्लोक है. इसका जाप महामारी जैसी स्थितियों में विशेष तरह की ध्वनि कंपन्न उत्पन्न करता है और ध्वनि की आवृत्ति उस परम शक्ति तक पहुंचती है जिससे हम सहायता चाहते हैं. ध्यान रहे कि आपका बोला गया वाक्य या किया गया मंत्र जाप खाली नहीं जाता, विज्ञान भी कहता है कि ध्वनि भर्ती नहीं बल्कि तरंगों के रुप में ब्रहांड में घूमती रहती है.
स्कंदमाता मां पार्वती का रुप है. स्कंदमाता की सवारी सिंह है और इनके गोद में स्कंद भगवान बैठे हैं जिनके 6 सिर हैं.
मां पार्वती को स्कंद भगवान की माता कहा जाता है, स्कंद यानि कार्तिकेय स्वामी. दक्षिण भारत में कार्तिकेय को मुरुगन स्वामी के नाम से जाना जाता है. कार्तिकेय देवासुर संग्राम के सेनापति बने थे विजयी भी हुए.
स्कंद माता की आराधना से कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं. सेनापति यानी लीडर मान लीजिए। जिसे आगे बढ़ने की चाह है और लीड करना चाहता है वो स्कंदमाता की पूजा आराधना अवश्य करें.
गौमूत्र और गंगाजल से स्वयं और आसपास शुद्धी करके आसान पर बैठें ,गाय के घी का दीपक लगाएं , माता को ,घूप लगाएं. मां का ध्यान करते हुए उन्हें मिठाई,लौंग इलायची का भोग लगाएं और मंत्र जाप करें.
मंत्र- कामाचारं शुभाकांतां,काल चक्र स्वरुपिणी कामदाय करुणोदारां स्कंदमाता पूज्यामि अहम ।।
हीं आचार्य राजेश पांडे कहते हैं – बिजनेस क्षेत्र वालों को , राजनीतिक क्षेत्र वालों को बुरी ताकतों पर काबू पाने की इच्छा करने वालों को मां स्कंदमाता का पूजन आराधना अवश्य करनी चाहिए.
मंत्र का जाप भी करें –
“सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरदया,
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी।।”
ध्यान रहे जब मां की आराधना करें तो पूरे नवरात्र में आपसे शारिरिक या मानसिक गलती नहीं होना चाहिए. शारीरिक गलती यानी किसी को मारना पीटना मांस मदिरा सेवन आदि,और मानसिक गलती यानी किसी के प्रति गलत भाव मन में लाना.
कई बार हमसे पूजा विधि में गलती हो जाती है तो सरल भाव से क्षमा मांगने से मां आपकी पूजा सहर्ष स्वीकार कर लेती है.