‘निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटका दो, मुझे इनको टांगने के लिए बस 2-3 दिन का वक्त चाहिए’

नई दिल्ली. “निर्भया और हैदराबाद की डॉक्टर जैसे रूह कंपा देने वाले कांड घर बैठे नहीं रुक सकते हैं. इसके लिए बहुत जरूरी है कि जितनी जल्दी हो सके निर्भया के मुजरिमों को फांसी पर लटका दो. तेलंगाना की डॉक्‍टर के हत्यारों को जल्दी से मुजरिम करार दिलवा दीजिए. हिंदुस्तान में निर्भया और तेलंगाना कांड खुद-ब-खुद ही बंद हो जाएंगे. जब तक ऐसे जालिमों को मौत के घाट नहीं उतरा जाएगा तब तक बाकी बचे हुए ऐसे क्रूर इंसानों में भला भय कैसे पैदा होगा?”

यह किसी मुंबईया फिल्म का डायलॉग नहीं, बल्कि देश के सबसे बड़े जल्लाद पवन की मुंहजुबानी है. फिलहाल मेरठ में मौजूद पुश्तैनी जल्लाद पवन ने आईएएनएस को मंगलवार देर रात फोन पर बातचीत करते हुए अपने दिल में उठ रहे तमाम गुबार को बेझिझक निकाला.

बकौल पवन, “अगर निर्भया के हत्यारों को सरकार लटका चुकी होती तो शायद, हैदराबाद की मासूम बेकसूर डॉक्‍टर बेमौत मरने से बच गई होती. निर्भया के हत्यारों को आखिर तिहाड़ जेल में पालकर रखा ही क्यों जा रहा है? निर्भया कांड के मुजरिम हों या फिर डॉक्‍टर के हत्यारे. इनका इलाज जब तक आनन-फानन में नहीं होगा, तब तक यह मुसीबतें समाज में बरकरार रहेंगीं.”

पवन ने खास बातचीत में आगे कहा, “मैं तो एकदम तैयार बैठा हूं. निर्भया के मुजरिमों के डेथ-वारंट मिले और मैं तिहाड़ जेल पहुचूं. मुझे मुजरिमों को फांसी के फंदे पर टांगने के लिए महज दो से तीन दिन का वक्त चाहिए. सिर्फ ट्रायल करुंगा और अदालत के डेथ वारंट को अमल में ला दूंगा.”

पवन ने आगे कहा, “मैं खानदानी जल्लाद हूं. इसमें मुझे शर्म नहीं लगती. मेरे परदादा लक्ष्मन जल्लाद, दादा कालू राम जल्लाद, पिता मम्मू जल्लाद थे. मतलब जल्लादी के इस खानदानी पेशे में मैं अब चौथी पीढ़ी का इकलौता जल्लाद हूं.”

पवन ने पहली फांसी दादा कालू राम जल्लाद के साथ पटियाला सेंट्रल जेल में दो भाईयों को दी थी. दादा के साथ अब तक जिंदगी में पांच खूंखार मुजरिमों को फांसी पर टांगने वाले पवन के मुताबिक, “पहली फांसी दादा कालू राम के साथ पटियाला सेंट्रल जेल में दो भाईयों को लगवाई थी. उस वक्त मेरी उम्र यही कोई 20-22 साल रही होगी. अब मैं 58 साल का हो चुका हूं.”

पवन के दावे के मुताबिक अब तक अपने दादा कालू राम के साथ आखिरी फांसी उसने बुलंदशहर के दुष्कर्म और हत्यारोपी मुजरिम को सन 1988 के आसपास लगाई थी. वह फांसी आगरा सेंट्रल जेल में लगाई गयी थी. उससे पहले जयपुर और इलाहाबाद की नैनी जेल में भी दो लोगों को दादा के साथ फांसी पर लटकवाने गया था.

पवन ने साफ कहा, “ऐसे मुजरिमों को पालकर रखना यानी नये मुजरिमों को जन्म लेने के लिए खुला मौका देना होता है.”

पवन के मुताबिक, फिलहाल उनका जीवन उत्तर प्रदेश सरकार से मिलने वाले 5 हजार रुपये महीने से जैसे तैसे चल रहा है. यह रुपये मेरठ जेल से हर महीने मिल जाते हैं. बकौल पवन, “पहले तो सस्ते के जमाने में फांसी लगाने के औने-पौने दाम दादा कालूराम को मिला करते थे. आजकल एक फांसी लगाने का दाम 25 हजार रुपया है. हालांकि इन 25 हजार से जिंदगी नहीं कटनी. फिर भी खुशी इस बात की ज्यादा होती है कि चलो किसी समाज के नासूर को जड़ से खत्म तो अपने हाथों से किया.”

दिल्ली जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने आगे कहा, “ऐसा नहीं है कि फांसी पर लटकाने के लिए कोई विशेष रुप से अधिकृत होता हो. यह जेल प्रशासन और राज्य सरकार पर भी निर्भर होता है कि, वो जिसे भी इस काम के लिए कानूनी रुप से बेहतर समझे, उससे यह काम (फांसी पर मुजरिम को लटकवाना) करवा ले. बस इस काम में (मुजरिम को फांसी देने के वक्त) समझदारी और सावधानी सबसे महत्वपूर्ण होती है.”

एशिया की सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली तिहाड़ जेल के पूर्व जेलर और बाद में कानूनी सलाहकार के पद से सन 2016 में रिटायर हो चुके सुनील गुप्ता से भी मंगलवार देर रात आईएएनएस ने बात की. सुनील गुप्ता ने हाल ही में जेल की जिंदगी पर ‘ब्लैक-वारंट’ नाम की सनसनीखेज किताब भी लिखी है.

उन्होंने कहा, “मेरी 35 साल की नौकरी में मेरे सामने आठ लोगों को तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया गया था. इनमें रंगा-बिल्ला, इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत-केहर सिंह, कश्मीरी आतंकवादी मकबूल बट्ट, विद्या जैन के हत्यारे दो भाई जगतार-करतार सिंह, संसद हमले का आरोपी अफजल गुरु शामिल थे. किसी को भी फांसी पर लटकाने में कोई दिक्कत नहीं आई. हां, इस काम के लिए विशेषज्ञ तो होना चाहिए. क्योंकि इसमें अदालत के बेदह संवेदनशील हुक्म की तामील की जानी होती है. इस हुक्म के तामील होने में चूक बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. हालांकि अभी तक ऐसी चूक कभी किसी को फांसी पर लटकाये जाने के वक्त सुनने-देखने को मिली तो नहीं है.”




Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!