पंचम राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस : धन्वन्तरि जयंती कल मनाया जाएगा

बिलासपुर. प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी शासन के निर्देशानुसार दिनांक 13 नवम्बर 2020 को आयुष विभाग द्वारा ‘‘धन्वन्तरि जयंती‘‘ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर ‘‘आयुर्वेदा फार कोविड-19 पेनडेमिक थीम‘‘ पर मनाये जाने के निर्देश प्राप्त हुये है आयुष विभाग बिलासपुर द्वारा इस सम्बंध मे वेबिनार, आनलाईन प्लेटफार्म सोशल मिडिया मे सोशल डिस्टेन्सिग का पालन करते हुये धन्वन्तरि पूजन का कार्यक्रम कर रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोविड-19 के चिकित्सीय प्रबंधन के लिये आयुर्वेद औषधियों और योग आधारित प्रोटोकाल जारी किया है ।
इसमे करोना वायरस सक्रमण को रोकने और हल्के लक्षणों तथा लक्षण विहिन मामलों के उपचार के लिये अश्वगंधा, तथा गिलोय और आयुष 64 जैसी औषधियां शामिल है। मंत्री जी द्वारा यह कहा गया है कि ‘‘ रोग निरोधी कदमों वाला यह प्रोटोकाल न सिर्फ कोविड-19 के प्रबंधन मे एक महत्वपूर्ण कदम है बल्कि आधुनिक समय की समस्याओं के समाधान मे पारंपरिक ज्ञान के प्रासंगिक बनाने की दिशा मे भी महत्वपूर्ण कदम है। भारत सरकार आयुष मंत्रालय मे प्रोटोकाल दस्तावेज मे रेखांकित किया कि मौजूदा ज्ञान कहता है कि करोना वायरस सक्रंमण और महामारी को आगे बढ़ने मे रोकने मे अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता मददगार है। इस प्रोटोकाल का प्रशिक्षण बिलासपुर/ मुंगेली/ एंव गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले के समस्त चिकित्सकों को दिया जा चुका है। जिसका लाभ जनसामान्य द्वारा आयुष औषधालयो मे प्राप्त कर सकते है।
विगत् 8-9 माह से कोविड-19 की महामारी सुरसा के मुख के समान फैलती ही जा रही है। पूरे विश्व मे भारत का स्थान संक्रमण के हिसाब के दूसरे पायदान पर है हालाकिं अन्य देशो की अपेक्षा हमारे देश मे मृत्युदर कम देखी जा रही है। सभी पद्धतियों से उपचार हेतु अनेक प्रोटोकाल शासन द्वारा जारी किया जा रहा है। पर अब तक कोई भी चिकित्सा शत प्रतिशत प्रभावी नही पायी गयी है। विश्व के सारे वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने की ओर अग्रसर है जिसके प्रभाव मे भी प्रश्नचिन्ह है। सक्रमंण रोकने हेतु प्रोटोकाल का प्रथम पायदान मास्क पहनना, सामाजिक दूरी का पालन करना, बार- बार हाथ धोना आज भी प्रभावी माना जा रहा है। महामारी लंबे समय तक चलने के कारण लोगो मे भय कम हो गया है। तथा अति आवश्यक प्रथम प्रोटोकाल को मानने मे लापरवाही बरती जा रही है। केन्द्र शासन, राज्य शासन अपनी पूरी क्षमता के साथ इस महामारी से लड रहे है, पर इसमें जन सहयोग एवं जनजागरूकता की महती आवश्यकता है।
इसी तारतम्य मे भारत सरकार आयुष मंत्रालय के एक्सपर्ट कमेटी, आल इण्डिया इस्ंटीटयूट आफ आयुर्वेद (।प्प्।) एवं सेन्ट्रल काउंसिल आफ योगा एंड नैचुरोपैथी के विशेषज्ञों द्वारा विगत 6से 8 माह के अनुभवों को संकलित करते हुये आयुष की ओर से एक प्रोटोकाल जारी किया गया है। इससे कोविड-19 के मध्यम लक्षण वाले व्यक्तियों को इसकी जानकारी दिया जाना है, उपचार के समय उपचार हेतु विकल्प के रूप मे संक्रमित व्यक्ति अनुपालन कर सकता है।
प्रोटोकाल के मुख्य बिन्दु
1. सोशल डिस्टेंसिग एवं मास्क का उपयोग करना।
2. एक चुटकी नमक एवं हल्दी पावडर के साथ गुनगुने पानी मे 3 से 4 बार गरारे करना।
3. अणु तेल या षडबिन्दु तेल का नस्य दो बार विशेषतः बाहर जाने के समय अगुंली के माध्यम से नाक मे लगाया जा सकता है। गाय के शुद्ध घी का प्रयोग भी उत्तम है।
4. अजवाईन, पुदीना के पत्ते या नीलगिरी का तेल डालकर रोज एक बार भांप ले।
5. 6 से 8 घण्टे की पर्याप्त नीदं लें।
6. प्रतिदिन आधा घण्टा व्यायाम एंव योग करें।
भोजन व्यवस्था
1. पीने हेतु गर्म जल या धनिया,अदरक,तुलसी, जीरा के साथ उबला हुआ जल का उपयोग करें।
2. ताजा पौष्टिक गर्म एवं संतुलित आहार ही लें।
3. प्रतिदिन 150 एम एल गर्म दूध मे आधा चम्मच हल्दी डालकर पीयें।
4. दिन मे एक बार आयुष क्वाथ, त्रिकटू चूर्ण उबालकर चाय की तरह सेवन करें।
बचाव एवं उपचार
1. कोविड-19 के सक्रमण से बचने के लिये 1 से 3 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण गर्म जल के साथ लें।
2. प्रतिदिन 10 ग्राम च्यवनप्राश दिन मे एक बार अवश्य लें।
3. कोविड-19 पाजीटिव के लक्षण जैसे बुखार आना, सिरदर्द, सूखी खांसी, गले मे खराश, नाक बंद हो जाना आदि हेतु आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख मे संशमनी वटी, आयुष 64 टेबलेट, गिलोय घनवटी, पिप्पली चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है।
कोविड पाजीटिव होने के पश्चात की देखभाल
पोस्ट कोविड मैनेजमेन्ट हेतु जिसमे विशेषकर फेफड़ो फाइब्रोसिस होना या सांस का फूलना इसके लिये बचाव के सभी नियमो का पालन करने के साथ ही रसायन चूर्ण आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख मे लिया जाना चाहिये।
योग प्रोटोकाल
योग प्रोटोकाल मे विशेष रूप से श्वसन तंत्र एंव रक्त परिवहन तंत्र को मजबूत करने हेतु अनुलोम विलोम, कपाल भांति, भस्त्रिका, भ्रामरी आदि प्राणायाम एवं आसन के साथ उपयोगी होता है।