पाकिस्तान में लगे PM मोदी और विंग कमांडर अभिनंदन के पोस्टर, जानें क्या है मामला


लाहौर. भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (Abhinandan Varthaman) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) एक बार फिर से पाकिस्तान (Pakistan) में चर्चा का विषय बने हुए हैं. लाहौर में दोनों के कई पोस्टर लगाये गए हैं. हालांकि, इन पोस्टरों का उद्देश्य अभिनंदन की रिहाई पर पाकिस्तान के खौफ का खुलासा करने वाले अयाज सादिक (Ayaz Sadiq) पर निशाना साधना है.

भारत समर्थक बताया
नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PMLN) के नेता अयाज सादिक को भी इन पोस्टरों में जगह मिली है. उन्हें कौम का गद्दार बताते हुए यह साबित करने का प्रयास किया गया है कि सादिक के चलते पाकिस्तान को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा. कुछ पोस्टरों में सादिक को वर्धमान के रूप में भी दिखाया गया है, जबकि कुछ में उन्हें भारत समर्थक बताया गया है.

पोस्टर बनाम पोस्टर
वहीं, नवाज शरीफ की पार्टी ने भी सादिक विरोधी पोस्टर के विरोध में कुछ पोस्टर लगाये हैं. पाकिस्तानी पत्रकार आदित्य राज कौल ने PMLN का एक पोस्टर सोशल मीडिया पर शेयर किया है. जिसमें सादिक की जगह इमरान खान की फोटो लगाई गई है. इस पोस्टर के जरिये PMLN ने इमरान खान पर कश्मीर को बेचने का आरोप लगाया है. उधर, सादिक की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने कहा कि विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई को लेकर पाकिस्तान पर कोई दबाव नहीं था.

क्या कहा था सादिक ने?  
अयाज सादिक ने संसद में बोलते हुए कहा था कि ‘अभिनंदन की रिहाई को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) खौफ में थे. कुरैशी ने यहां तक कहा था कि भारत पाकिस्तान पर हमला करने वाला है और इसलिए अभिनंदन को छोड़ना जरूरी है’. इसके अलावा, उन्होंने आगे कहा था, ‘कुलभूषण के लिए हम अध्यादेश लेकर नहीं आए थे. कुलभूषण को हमने इतनी एक्सेस नहीं दी थी, जितनी इस हूकुमत ने दी. अभिनंदन की क्या बात करते हैं, शाह महमूद कुरैशी और आर्मी चीफ उस मीटिंग में थे. कुरैशी ने कहा था कि अभिनंद को वापस जाने दें, खुदा का वास्ता है अभिनंदन को जाने दें, भारत रात 9 बजे अटैक करने जा रहा है. उस बैठक में इमरान खान ने आने से इनकार कर दिया था’.

कांप रहे थे पैर
अयाज ने यह भी कहा था कि हिंदुस्तान कोई हमला नहीं करने वाला था. सरकार को केवल घुटने टेककर अभिनंदन को वापस भेजना था और उसने वही किया. उस बैठक में कुरैशी के पैर कांप रहे थे, वे सभी को यह कहकर डरा रहे थे कि यदि अभिनंदन को नहीं छोड़ा तो भारत रात नौ बजे हमला कर देगा. जबकि हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला था.

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