प्रदेश की सीमा पहुंचते ही मिला सुकून, निःशुल्क बस की सुविधा से थकान दूर


बिलासपुर. छत्तीसगढ़ की सीमा में आते ही हमें अपने घर जैसा सुकून मिला। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार द्वारा की गई निःशुल्क बस की सुविधा ने हमारे थकान को दूर कर दिया। इसके साथ ही खाने-पीने की सुविधा भी मिली। यह कहना है गतौरा निवासी श्रमिक उपेन्द्र पाण्डेय का। वे अपने पांच सदस्यीय परिवार सहित 22 साथियों के साथ चंद्रपुर महाराष्ट्र से आ रहे थे। उपेन्द्र पाण्डेय अपने साथियों के साथ ईंट भट्ठा में काम करने चंद्रपुर महाराष्ट्र गए थे। कोरोना वायरस से बचाव के लिये जारी लाॅकडाउन के कारण वे वहां फंस गए थे। लाॅकडाउन के कारण आवागमन की सुविधा बंद होने से वे चाहकर भी अपना घर नहीं आ पा रहे थे। वहां उनका काम धंधा भी बंद हो गया था। इससे रोजी-रोटी की समस्या होने लगी। वहां से वे किसी तरह एक हाईवा (ट्रक) में बैठकर छत्तीसगढ़ की सीमा तक आए। सीमा तक छोड़ने के लिये हाईवा (ट्रक) ने प्रत्येक व्यक्ति से 700 रूपये किराया लिया। उनका कहना है कि ट्रक से उतरने के बाद हमें इस बात की चिंता हो रही थी कि अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ आगे की रास्ता कैसे तय करेंगे। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सीमा में निःशुल्क बस की व्यवस्था की गई है। इससे हमें राहत की सांस मिली। इसके साथ ही उन्हें खाने-पीने की सुविधा भी मिली। श्री उपेन्द्र ने कहा कि बाहर से आने के बाद भी उनका ध्यान रखा गया और निःशुल्क बस की सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसके लिये वे सभी ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को धन्यवाद दिये हैं। इसी तरह चांटीपाली जांजगीर निवासी जागेश्वर साहू अपने तीन साथियों के साथ काम की तलाश में हैदराबाद गए थे। वे भी लाॅकडाउन के कारण वहां फंसे हुए थे। छत्तीसगढ़ सीमा तक किसी तर पहुंचने के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ में सफर करने के लिये दिक्कत नहीं हुई। वे बस में बैठकर भोजपुरी टोलनाका बिलासपुर पहुंचे थे। उन्हें बस का किराया भी देना नहीं पड़ा।

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