प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नियमों में ढील देने की मांग की किसान सभा ने

रायपुर. छत्तीसगढ़ किसान सभा ने वर्तमान में जारी कोरोना प्रकोप और इसके चलते लॉक डाउन के मद्देनजर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन के संबंध में भारत सरकार की  गाइड लाइन की कंडिका Xl (1) तथा XI (3)(ङ) में ढील देने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने अपने पत्र क्रमांक 253, दिनांक 27.03.2020 के जरिए इन कंडिकाओं का हवाला देते हुए “निर्धारित समय सीमा में फसल कटाई प्रयोग” पूरा किए जाने का आदेश दिया है।
आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि रबी सीजन की फसलों के लिए जनवरी-फरवरी का मौसम असमय लगातार बारिश व ओलावृष्टि के कारण बहुत खराब रहा है और वास्तव में फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। फसल कटाई प्रयोग के लिए अब खेतों में कुछ बचा ही नहीं है। अतः केंद्र सरकार से छत्तीसगढ़ राज्य सरकार मांग करें कि गाइडलाइन की उक्त कंडिकाओं को शिथिल किया जाए तथा फसल क्षति का आकलन आरबीसी 6(4) के नियमों के तहत ही स्वीकार करने का आदेश बीमा कंपनियों को दें, जिससे कि सभी बीमित किसानों को बर्बाद फसल का सही मुआवजा मिल सके।
किसान नेताओं ने यह भी मांग की है कि कोरोना वायरस से किसानों को आजीविका की जो क्षति हुई है, उसके मद्देनजर फसल क्षति का पूरा आकलन होने की प्रक्रिया का इंतजार किए बिना ही सभी बीमित व अबीमित किसानों को प्रति एकड़ न्यूनतम 10000 रुपयों की अग्रिम राहत राशि का भुगतान किया जाए।
किसान सभा ने कहा है कि चूंकि खेती-किसानी एक आवश्यक सेवा और इस प्रदेश में अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है और कोरोना बचाव के लिए महंगी जीवन रक्षक सामग्रियां खरीदना किसानों की आर्थिक क्षमता से बाहर है, अतः खेती-किसानी, पशुपालन, वनोपज संग्रहण व मनरेगा के काम में लगे लोगों को राज्य सरकार सुरक्षा किट उपलब्ध करवाएं, जिसमें मास्क, दस्ताने, साबुन व सैनिटाइजर आदि जरूरी चीजें शामिल हो।

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