
बिलासपुर. जिस प्रकार कम्प्युटर व मोबाईल को रिफ्रेश करने के लिए बटन दबाना पड़ता है, उसी प्रकार आज आप सभी यहां पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए उपस्थित हुए हैं। जिसमें आपको रिफ्रेश किया जावेगा। कल रात को 1.00 बजे एक अधिवक्ता के फोन पर सुप्रीम कोर्ट खुली और उसकी डिवीजन बेंच ने एक घायल व्यक्ति को कफ्र्यू की स्थिति में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पुलिस को निर्देश दिए। इससे यह दर्शित होता है कि एक अधिवक्ता का फोन काल कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। इसी प्रकार जब हम न्यायाधीश लोग न्यायालय में बैठते हैं तो प्रत्येक दिन हम कुछ न कुछ सीखते हैं और कोई छोटा से छोटा अधिवक्ता भी हमें कोई सीख दे जाता है। उक्त बातें न्यायमूर्ति श्री प्रशान्त कुमार मिश्रा ने उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के आडिटोरियम में विधिक सेवा पेनल अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम समारोह के मुख्य अतिथि के आसन से कहीं। उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक अधिवक्ता और न्यायाधीश को हमेशा सीखते रहना पड़ता है, इसके लिए आज यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसमें आपको बताया जाएगा कि आपको क्या करना है, क्या नहीं करना है। कई बार हम ऐसा कार्य कर जाते हैं जो हमें नही ंकरना होता है। यहां आज के कार्यक्रम में आपको फ्रंट आफिस के बारे में रिमाण्ड अधिवक्ता के बारे में, पेनल अधिवक्ताओं के बारे में, उनकी भूमिका के बारे में जानकारी दी जावेगी।

न्यायमूर्ति, श्री प्रशान्त कुमार मिश्रा नेआगे बताया कि नालसा प्री-अरेस्ट स्तर पर विधिक सेवा दिए जाने के कांसेप्ट पर कार्य कर रहा है, ऐसे निर्देश जारी किए जाचुकेहैं कि गिरफ्तार किए जाने के पूर्व लोगों को विधिक सहायता, सलाह उपलब्ध करायी जावे। इसकी तैयारियां प्रारम्भ हो गई है। बार गेनिंग तथा निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवा का कार्य चल रहा है, किस तरह उसे किया जाना है, यह बताया जाएगा। यहां पर प्राप्त होने वाली जानकारियों को आप अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को बताएं। प्रत्येकअधिवक्ता यह स्मरण करे तो उसे यह महसूस होगा कि उसने कोई ऐसा कार्य किया था, जिससे उसे सुखद अनुभूति प्राप्तहुई थीऔर ऐसे कार्यों को दूसरों के साथ साझा करने से उसको भी इस तरह के कार्य करने में मदद् मिलेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माननीय न्यायमूर्ति, श्री गौतम भादुड़ी ने कहा कि हमेशा हमें सीख लेनी चाहिए। सीखने से आपको उपर तक जाने का अवसर प्राप्त होगा।आपमें जानने की उत्सुकता होनी चाहिए। प्रोग्राम अटेंड करने, मीटिंग एवं सेमीनार से हमें अपनी भूमिका पता चलती है कि हमें किस तरह से कार्य करना है।लोगांेको न्याय दिलवाना आपका कर्तव्य है। आपसे अनुरोध है कि यहां दी जा रही जानकारी को ध्यानपूर्वक सुनें। उन्होंने कहा कि नालसा की योजनाएं जो सालसा के माध्यम से चलायी जातीहैं, इसकी जानकारीअधिकांश लोगों को नहींहोती है। और हम इसका लाभ जरूरतमंद लोगों को नहीं दिला पाते हैं। इस तरह के कार्यक्रमों में खुले दिलसे शामिल होवंे, इससे प्रसन्नता होगी। आपका ज्ञान हीआपको इस स्तर पर लाया है, यह वैसा ही है किदूध कोउबाला जा रहा है, दूध तब तक उबलता है, जब तक कि लकड़ी जलती रहती है। उसके बाद झाग बनकर बैठ जाता है। इस प्रशिक्षण का लाभ उठावें, हम लोग भी रोज न्यायालय में बैठते हैं तो कुछ न कुछ सीखते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम को श्री सतीश चंद्रवर्मा, महाधिवक्ता ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कोई अधिवक्ता ऐसा नहीं होगा, जिसने कभी लीगल एड नहीं दिया हो। हरअधिवक्ता के यहां कोई न कोई गरीब व्यक्ति आता है और अधिवक्ता उसकी मदद् करता है।अधिवक्ताओं काफी सलेना तो जायज है, किंतु समय-समय पर लीगल एड भीआवश्यक है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध अधिवक्ता श्री रामजेठमलानी के एक प्रकरण में बिलासपुर आने का उदाहरण देते हुए बताया कि उनसे इस मुकदमे में क्यों उपस्थित होने के संबंध में पूछा गया तों, उन्होंने जवाब दिया कि जबकि व्यक्ति ने मुझे अपने मामले में इंगेज किया है तो मेरा लीगल कर्तव्य बनता है कि मैं मुकदमे में उपस्थित हो चाहे मुझे फीस मिले या न मिले, मुझे उसमें आना ही पड़ेगा। श्री वर्मा ने यह भीबताया कि देखा जाए तो हर बड़ा मुकदमा जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ताओं का योगदान होता है। वह मामला लीगल एड का होता है। उन्होंने लीगल एड की अवधारणा की चर्चा करते हुए संविधान में विधिकसेवा के संबंध में दिए गए उपबंधों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि लीगल एड का विचार वर्ष 1952 से ही प्रारम्भ हो गया था और वर्ष 1977 में इसका प्रावधान किया गया और वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम तैयार किया गया और वर्ष 1995 में इसे लागू किया गया और समाज के गरीब एवं निर्धन व्यक्तियों को जोआर्थिक कारणों से अपना मामला नहीं लड़ सकते हैं उसकी जिम्मेदारी सरकार को दी गई।अधिवक्ता के रूप में आपको देश ने जो दियाहै, आज अवसर है कि आपको उसे वापस लौटाना है। उन्होंने इस अवसर पर विभिन्न महत्वपूर्ण प्रकरणोंका भीउल्लेख किया।
आज इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेशभर के विभिन्न जिलोंसे 150 पेनल अधिवक्ता उपस्थित हुए थे, उन्हें श्री दीपक तिवारी, रजिस्ट्रार, विजिलेंस, श्री सिद्धार्थ अग्रवाल, सदस्य सचिव, श्रीउमेश उपाध्याय, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर, श्री प्रवीण मिश्रा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजनांदगांव, श्रीराहुल शर्मा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग, श्री जहांगीर तिगाला, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महासमुंद एवं श्री जनार्दन खरे, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सरगुजा ने संबोधित किया। कार्यक्रम में माननीय न्यायमूर्ति, श्री संजय एस. अग्रवाल तथा माननीय न्यायमूर्ति, श्रीमती विमला सिंह कपूर, रजिस्ट्री के अधिकारीगण, श्री के.एल. चरयाणी, निदेशक न्यायिक अकादमी तथा अधिकारीगण, श्री भानुप्रताप सिंह त्यागी, सचिव, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के पूर्ण कालिक सचिव तथा अधिवक्तागण उपस्थित हुए।