बवासीर के रोग में बहुत लाभकारी होती है ‘खेसारी की दाल’
इस दाल को लोग अक्सर अरहर की दाल समझ बैठते हैं। लेकिन अरहर दाल जैसी दिखनेवाली यह ‘खेसारी की दाल’ बवासीर जैसे खतरनाक रोग को जल्द ठीक करने में मदद करती है…
अक्सर लोग खेसारी की दाल को अरहर की दाल समझने की भूल कर बैठते हैं। क्योंकि यह देखने में काफी हद तक अरहर की दाल से मिलती-जुलती होती है। आयुर्वेद में खेसारी की दाल के सेवन कई तरह के रोगों का उपचार किया जाता है। इन्हीं में से एक रोग है बवासीर यानी पाइल्स (Piles) डिजीज।
-खेसारी की दाल प्रकृति में ठंडी होती है। इसलिए इस दाल का सेवन रात के भोजन में नहीं किया जाता है। मुख्य रूप से दोपहर के भोजन में इस दाल के सेवन का सुझाव दिया जाता है।
-यह दाल स्वाद में हल्की कसैली और मीठी होती है। शरीर में पित्त बढ़ने की समस्या होने पर भी खेसारी के दाल का सेवन किया जाता है। क्योंकि यह दाल पित्त नाशक होती है और शारीरिक शक्ति बढ़ाने का काम करती है।
-अन्य दालों की तरह प्रोटीन और आयरन की खूबियों से भरपूर होती है यह दाल। खास बात यह है कि इस दाल में और इसके तेल में विरेचक गुण पाए जाते हैं। यानी खेसारी का तेल और इसकी दाल पेट के लिए भी बहुत अधिक लाभकारी होती है।
इन रोगों में लाभकारी होती है
-खेसारी की दाल हड्डियों की कमजोरी दूर करती है। जो लोग अपनी डायट में इस दाल का सेवन करते हैं, उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
-जिन लोगों को इंटरनल इंफ्लेमेशन की समस्या रहती है, उन्हें भी इस दाल का सेवन करना चाहिए। क्योंकि खेसारी की दाल खाने से शरीर के अंदरूनी हिस्सों में सूजन को नहीं बढ़ने देता है।
-पेट में एसिड बनने की समस्या से ग्रसित लोगों को भी खेसारी की दाल खाने से खास लाभ मिलता है। क्योंकि यह दाल तासीर में ठंडी होती है, इस कारण पेट को शीतलता देने का काम करती है।
-प्राकृतिक और पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के कारण खेसारी की दाल में ऐसे औषधीय तत्व पाए जाते हैं, जो बवासीर की पीड़ा को नैचरली कम करते हैं। आप इस रोग की दवाओं के साथ ही अपने भोजन में खेसारी की दाल का सेवन करेंगे तो आपको अधिक लाभ होगा।