बांग्लादेश में सरस्वती पूजा को लेकर बवाल, जानें क्‍यों सड़कों पर उतरे सैंकड़ों छात्र


ढाका. बांग्लादेश में वसंत पंचमी के दिन मनाई जाने वाली सरस्वती पूजा मनाने को लेकर बवाल मचा हुआ है. दरअसल ढाका में 30 जनवरी (सरस्वती पूजा विसर्जन) के दिन दो स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए वहां के हिंदू संगठनों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हिंदू संगठनों की मांग थी कि निकाय चुनावों को रिशेड्यूल किया जाए. लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट में जस्टिस जेबीएम हसन और जस्टिस एम डी खैरुल आलम की पीठ ने 14 जनवरी को याचिकाकर्ता, राज्य और चुनाव आयोग के वकील की सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया. इस आदेश के जारी होते ही सैंकड़ों की संख्या में छात्र गुस्से में आ गए और उन्होंने शाहबाग इलाके में इकट्ठा होकर जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया. इस प्रदर्शन के चलते सैंकड़ों लोग लंबे ट्रैफिक जाम में फंसे रहे.

ढाका विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों ने मंगलवार (14 जनवरी) शाम 5 बजे से डेढ़ घंटे तक व्यस्त चौराहे को बंद रखा. उन्होंने चुनाव की तारीख बदलने के लिए चुनाव आयोग को एक दिन तक का समय दिया.  प्रदर्शनकारियों के प्रवक्ता और विश्वविद्यालय के जगन्नाथ हॉल छात्र संघ के उपाध्यक्ष उत्पल विश्वास ने संवाददाताओं से कहा, “अगर चुनाव आयोग बुधवार दोपहर 12 बजे तक हमारी मांग को पूरा नहीं करता है, तो हम आयोग की घेराबंदी करेंगे.”

याचिकाकर्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अशोक कुमार घोष ने कहा, “हम हाईकोर्ट के इस फैसले से दुखी हैं, हम इसे अपीलीय प्रभाग (Appel Division) में चुनौती देंगे..”

बता दें कि बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने पिछले साल 22 दिसंबर को घोषणा की थी कि ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन (DSCC) और ढाका नॉर्थ सिटी कॉरपोरेशन (DNCC) के लिए 30 जनवरी 2020 को मतदान होगा.  हिंदू समुदाय ने फैसले के विरोध में तुरंत आवाज उठाई क्योंकि इस दिन हिंदुओं का पर्व है. 29 जनवरी को सरस्वती पूजा और 30 जनवरी को माता का विसर्जन है.

इस मामले ने ज्यादा तूल जब पकड़ लिया जब सरकार द्वारा स्कूल कैलेंडर में 29 जनवरी को हिंदू त्योहार की छुट्टी घोषित की गई है.

पूजा उद्गम परिषद और बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (BHBCUC) सहित कई हिंदू धार्मिक समूहों ने चुनाव आयोग से त्योहार मनाने में समुदाय की सुविधा के लिए चुनाव के दिन को स्थानांतरित करने का आग्रह किया था. बता दें कि यहां के दोनों नगर निगमों के तहत कई शैक्षणिक संस्थान सरस्वती पूजा का आयोजन करते हैं और स्थानीय और आम चुनावों के दौरान मतदान केंद्र के रूप में भी उपयोग किया जाता है.

चूंकि चुनाव आयोग ने चुनाव के दिन को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया, इसलिए एडवोकेट अशोक ने 5 जनवरी को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और इस मामले पर अपना निर्देश देने को कहा था. लेकिन मंगलवार को होईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था.

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