बागी विधायक मामले में याचिका पर SC में आज होगी सुनवाई


नई दिल्ली. राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) में बागी विधायकों के मामले में विधानसभा स्पीकर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज सोमवार को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट इस बाबत सुनवाई करेगा कि क्या हाई कोर्ट (High Court) विधानसभा स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर सकता है या नहीं? यानी सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला इसलिए भी अहम हो सकता है क्योंकि अगर भविष्य में ऐसी स्थिति पैदा होती है, तो उसपर भी फैसला लागू हो सकता है.

इस मामले में सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों की याचिका पर हाई कोर्ट का शुक्रवार को फैसला आना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई सोमवार को किए जाने के मद्देनजर हाईकोर्ट ने अपना फैसला न सुनाकर स्थगित कर लिया. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर की याचिका पर सुनवाई हुई थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के शुक्रवार को फैसला सुनाने पर रोक नहीं लगाई थी लेकिन कहा कि हाई कोर्ट का फैसला अंतिम नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला हाई कोर्ट के फैसले को प्रभावित कर सकता है जिसकी वजह से हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला नहीं सुनाया. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को डिटेल में सुनेगा जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार की तारीख लगाई थी. सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि कोई फैसला लेने से पहले ही हाई कोर्ट इस तरह मामले में दखल नहीं दे सकता है.

गुरुवार को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि असंतोष विधायकों की आवाज इस तरह दबाई नहीं जा सकती, वे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं, फिर तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा, क्या वे अपनी असहमति व्यक्त नहीं कर सकते.

जस्टिस अरूण मिश्रा ने स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल से पूछा था कि मान लीजिए किसी नेता का किसी दूसरे नेता पर भरोसा नहीं, तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य करार दिया जाएगा, पार्टी में रहते हुए वे अयोग्य नहीं हो सकते, फिर ये यह एक उपकरण बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा सकेगा लोकतंत्र में, असंतोष की आवाज इस तरह बंद नहीं हो सकती.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ मसले पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र से जुड़े होते हैं. कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर को तय करने दिया जाए कि विधानसभा के बाहर की गतिविधि के लिए इन विधायकों पर कार्रवाई हो सकती है या नहीं. विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने खुद दो बार हाईकोर्ट में कार्रवाई टालने पर सहमति दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये लोकतंत्र से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. लोकतंत्र कैसे चलेगा? ये बहुत गंभीर मुद्दे हैं. इस मामले को डिटेल में सुना जाएगा, इसके लिए विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता होगी.

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में 1992 के किहोटो होलोहॉन मामले में दिए संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया, कहा कि इस फैसले के मुताबिक अयोग्यता के मसले पर स्पीकर का फैसला आने से पहले कोर्ट दखल नहीं दे सकता है.

अयोग्य ठहराने की प्रकिया पूरी होने से पहले कोर्ट में दायर कोई भी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य मामले में हाल ही में दिए गए आदेश का हवाला दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को एक उचित समय में फैसला लेने का आग्रह किया था, न कि स्पीकर को कोई आदेश या स्पीकर को तय तारीख पर अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया पूरी करने या रोकने के लिए कहा गया था.

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