बीते माह ठगी के आरोपी को पकडऩे गई बिलासपुर की साइबर टीम ने पांच लोगों को छोडऩे के एवज में मांगे एक लाख रुपए
बिलासपुर. बीते नवंबर माह में ठगी के मामले में आरोपी को पकडऩे झारखंड गई बिलासपुर की साइबर टीम को मुख्य आरोपी नहीं मिला तो सिम बेचने वाले दुकानदार सहित पांच लोगों को हिरासत में ले लिया और उन्हें छोडऩे के एवज में एक लाख रुपए की मांग। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से की है। साइबर मामलों की विवेचना करने बिलासपुर पुलिस ने साइबर सेल का गठन किया है ताकि आरोपी तक पुलिस सहजता से पहुंचा सके लेकिन साइबर सेल के भी अधिकारी कर्मचारी रिश्वतखोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। झारखंड में बिलासपुर पुलिस ने जो हरकत की है उससे भारी बदनामी हो रही है।
जानकारी के अनुसार ठगी के आरोपी को पकडऩे साइबर टीम बीते 24 नवंबर को झारखंड राज्य के अहिल्यापुर थाना पहुंची। स्थानीय पुलिस की मदद लेकर टीम ने गजकुंडा गांव में दबिश दी। यहां मो. मुर्तजा पिता मो. उसमान के घर छापेमारी की गई। इस दौरान टीम को पता चला कि मुर्तजा किसी अन्य शहर में रह रहा है। इसके बाद पुलिस ने मुर्तजा को सिम बेचने वाले एक दुकानदार समेत पांच लोगों को पकड़ा। सभी लोगों को टीम अहिल्यापुर थाने ले आई। ग्रामीणों ने बिलासपुर पुलिस पर एक लाख रुपए वसूलने का आरोप लगाया है। इस घटना को लेकर जिप सदस्य प्रतिनिधि मो. रिजवान ग्रामीणों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे। ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक को हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई है।
मालूम हो कि तत्कालीन आईजी पवन देव ने क्राइम ब्रांच में पदस्थ कर्मचारियों को संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। इसके बाद आईजी पवन देव पर ही छेडख़ानी का गंभीर आरोप लगा। रिश्वतखोरी करने में माहिर पुलिस के दागदार कर्मचारी वरिष्ठ अधिकारी को ठिकाने लगाते आ रहे हैं। आलम यह है राज्य के बाहर भी अब बिलासपुर पुलिस की कार्यप्रणाली की घोर निंदा हो रही है। जनहित में गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस की साख गिराने वाले दागदार अधिकारी-कर्मचारियों पर लगाम लगाने की सख्त आवश्यकता है।