बेदखली के विरोध में तालापारा के सैकड़ों लोगों ने विकास भवन का किया घेराव


बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में तालापारा के क्षेत्र में बस्ती तोड़ने का विरोध काफी समय हो रहा है। इसी विरोध में 2017, 2015 में काँग्रेस के नेता और पदाधिकारी भी बस्ती में आकर मीटिंग करते रहे और कहते थे कि बस्तियों का एक भी घर नही टूटने देंगे।आज राज्य और निगम दोनों जगह कांग्रेस की सरकार है, और इसी सरकार में उन्ही बस्ती को तोड़ने का नोटिस जारी हुआ है।सरकार और उनके नेताओ द्वारा कभी 500 तो कभी 700 के आस पास घर के बदले घर की बात कही गयी, किंतु घर की संख्या के आंकड़े 2000 से ऊपर है, जो कि काफी लंबे समय से रहते आये है, और आशा अभियान के तहत श्रम दान करके अपने घर खुद बनाये थे, ऐसे में सबको घर देने की बात बस्ती के लोगो द्वारा बोली जा रही है।सबका कहना यह भी है कि जब पैसा हमने पहले दिया है, तो अब फिर से जबकी 30 साल पट्टे का नही हुआ है, तो हम क्यों देंगे, वो भी 22 शर्तो के साथ?? पट्टे के हिसाब से सब मालिक होंगे, किरायेदार नही, पर नगर निगम के नोटिस की जो भाषा है, उसके हिसाब से बस्ती के लोग गुलाम महसूस कर रहे है, ऐसे में शर्त मंजूर नही है।

बस्ती के बिन्दा बंजारे जी ने बोला कि हमको सफाई दफ्तर बनाकर रख दिया है सरकारों ने, जहां गंदगी होती है, वहां सफाई करने भेजते है, जब सफाई हो जाती है, तो कही और ठेल आते है सरकारी लोग हमको, हम सबसे वोट इसी नाम पर लिया गया था, पर आज उल्टा काम किया जा रहा है।

संतोष बंजारे जी ने बोला कि हमको स्वतंत्रता से रहने दे, हमे फ्लैट नही चाहिए। साथ ही रिजवाना ने बोला कि लिखित बताये सरकार कि सबको मकान देंगे और वापस यही बसायेंगे इसको लिखित शपथपत्र सरकार के सक्षम अधिकारी भी दे, और उसकी समय सीमा तय हो कि कितने समय तक घर बनकर तैयार हो जाएंगे।उक्त तमाम बातों के साथ 6 सूत्रीय मांगों को लेकर निगम का घेराव किया गया व महापौर , नगर निगम, बिलासपुर को ज्ञापन सौंपा गया

महापौर जी से वार्ड 25 के बस्ती के लोगो की बस्ती तोड़े जाने के विरोध में बातचीत हुई,आश्वासन मिला है कि सहमति के खिलाफ बस्ती में कुछ नही होगा, सबसे चर्चा के बाद ही कुछ किया जाएगा, जनता अब इंतज़ार में है कि उनकी मांग को माना है जाएगा या नही।
मांग नही माने जाने पर उग्र आंदोलन  क्योंकि इसी दल के नेता 2017 में बस्ती तोड़ने का विरोध करते थे, और बस्ती को बचाने की बात कह रहे थे, मांग पूरी नही होने पर  संघर्ष के रास्ते ही मात्र विकल्प  है।

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