भाजपा शासन काल में बिलासपुर और गरियाबंद में पत्रकारों की हत्या हुई, सीबीआई जांच का क्या हुआ : भूपेश

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बिलासपुर. बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता कमल शुक्ला से हुई मारपीट की घटना के बाद प्रदेश भर के पत्रकार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कांकेर में कांग्रेसी पार्षद और कुछ दंबंग लोगों ने थाना परिसर में पत्रकार कमल शुक्ला के साथ हाथापाई कर मारपीट की, ऐसा आरोप पत्रकार लगा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि घटना निंदनीय है, मामले की जांच कर सख्त कार्रवाई की जायेगी। आपराधी कोई भी हो, किसी भी दल का हो कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि पिछले कार्यकाल में और आज के समय में बहुत फर्क है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले सरकार आरोप लगाते हुए कहा कि बिलासपुर के पत्रकार की हत्या करवा दी गई, इसी तरह गरियाबंद में भी पत्रकार की हत्या हुई। दोनों ही मामले की सीबीआई जांच कराई गई फिर सीबीआई कस्टडी में अपराधी की मौत हो गई। सीबीआई जांच का क्या हुआ? आज की स्थिति में पत्रकार कहते हैं कि भूपेश हम आ रहे हैं मैं स्वागत करता हूं, यहीं प्रजातंत्र है। पिछले समय और आज के समय में क्या फर्क यह स्पष्ट है। घटना कोई भी है निदंनीय है, मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूं, नहीं होना चाहिए था और यदि हो गया तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले सरकार में बस्तर के 11 पत्रकारों को जन सुरक्षा अधिकार के तहत हिरासत में ले लिया गया था। हिरासत में लिये पत्रकारों को उनके ही मालिकों ने प्रतिनिधि मानने से इंकार कर दिया था। 17 दिसंबर 2018 से हम सरकार में आये हैं और हम पत्रकारों की रक्षा पर हमेशा ध्यान देते हैं।

आज तक पकड़ में नहीं आये पत्रकार सुशील पाठक के हत्यारे…
एक ओर पुलिस प्रशासन के अधिकारी कहते हैं कि कानून से बड़ा कोई नहीं होता। तो दूसरी ओर कानून का मजाक भी बनाया गया। शहर के वरिष्ठ पत्रकार सुशील पाठक की गोली मारकर हत्या 19 दिसंबर 2010 को सरकंडा चटर्जी गली के पास देर रात हुई थी। इस मामले में एक साल तक पुलिस जांच कार्रवाई में जुटी रही। इसके बाद मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया। इस मामले में सीबीआई के हाथ भी कुछ नहीं लगे बल्कि सीबीआई के कर्मचारियों पर रिश्वत लेने का आरोप लगा। इस समय भाजपा सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी।

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