भारतीय किसान संघ, किसानों की मांगो को लेकर चला रहा है हस्ताक्षर अभियान

बिलासपुर। किसानों के प्रमुख विषयों को लेकर भारतीय किसान संघ ने पूरे प्रदेश में 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से किसानों के प्रमुख मुद्दों से सरकार को अवगत कराने का कार्यक्रम चला रहा है, तथा हस्ताक्षर प्रपत्र मुख्यमंत्री को सीधे मेल द्वारा भेजे जा रहे है। हस्ताक्षर अभियान में, किसानों के ही मध्य से आई 3 मुख्य मांगों को रखा गया है। छत्तीसगढ़ की प्रमुख फसल धान है और यह प्रदेश की राजनीति का ज्वलंत मुद्दा भी है, तो सहज रुप से पहली मांग धान खरीदी को लेकर ही है और केंद्र सरकार ने भी छत्तीसगढ़ से चावल का कोटा बढ़ाया है, ऐसे में किसान भी बड़ी आशा भरी दृष्टि से सरकार की ओर देख रहे है। प्रदेश के किसान मांग कर रहे है कि धान की खरीदी 15 नवंबर से की जाए। इसके साथ किसानों का कहना है की कृषि में आए नवाचार के कारण किसान अब प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल धान का उत्पादन ले रहा है, ऐसे में सरकार भी धान की लिमिट बढ़ाकर समितियों के माध्यम से 20 क्विंटल की खरीदी करें। पिछली सरकार के समय मक्के की सरकारी खरीदी की जाती थी, इस सरकार ने आते ही उसे बंद कर दिया। मक्का की सरकारी खरीदी बंद होने के कारण हजारो किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। व्यापरियों एवं बिचौलियों को औने पौने दाम मे बेचना पड़ा है। किसान संघ की दूसरी मांग है की मक्का खरीदी पुन: सरकार द्वारा प्रारंभ की जाए। भारतीय किसान संघ एक अरसे से समर्थन मूल्य पर रबी फसलों की खरीदी की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाए यह मांग करता आया है। क्योंकि रबी फसलों का सही मूल्य नहीं मिलने से किसानों ने इसे लगाना ही बंद कर दिया। कुछ वर्षों पूर्व असिंचित खेती वाले किसान उतेरा बोनी पद्धति से तीवरा, बटरी आदि की बोआई करते थे वह उसने पूरी तरह से बंद कर दिया। सिंचित खेती वाले जो किसान गेंहू, चना आदी फसलों की बोआई करते थे वे सभी रबी में भी धान की दूसरी फसल लेना प्रारंभ कर दिये है। अगर सरकार रबी फसल की खरीदी की व्यवस्था करती है तो किसान पुन: इस ओर लौटेगा तथा असिंचित खेती वाले किसानों की आय भी बढ़ेगी और यही किसान संघ की तीसरी मांग है। इसमें विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि प्रदेश के कुछ एक मंडिया ही पूरे वर्ष भर संचालित होती है, उसी प्रकार राज्य सरकार प्रदेश की सभी मंडियों को सुचारु रुप से संचालित करने की व्यवस्था करें।
छत्तीसगढ़ सरकार पंजाब की तर्ज पर कृषि बिल ला रही है, केन्द्र सरकार के कृषि बिल लाने के पूर्व ही भारतीय किसान संघ ने कुछ संशोधनों को लेकर सांसदों को ज्ञापन सौंपा था। ग्राम समितियों के माध्यम से प्रस्ताव कराकर प्रधानमंत्री को मेल भी किया था। अब जब छत्तीसगढ़ सरकार अपना कृषि बिल ला रही है तो किसान संघ, राज्य सरकार से भी कृषि बिल में हमारे संशोधनों को रखने की अपेक्षा करता है, क्योंकि यह पूर्ण रुप से किसान हित में है। पहला तो प्रदेश में कही भी समर्थन मूल्य से कम पर खरीदी ना हो इस हेतु कानून बने एवं अपराधिक प्रकरण दर्ज हो, दूसरा व्यापारियों का पंजीयन हो एवं उनकी बैंक गारंटी जमा कराई जाए, तीसरा प्रत्येक जिलों में कृषि न्यायालय की व्यवस्था की जाए, विवाद होने पर किसान का अपने जिले में ही शीघ्र निपटारा हो जाए। उक्त जानकारी धीरेन्द्र दुबे जिलाध्यक्ष भारतीय किसान संघ जिला बिलासपुर ने दी।

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