भारतीय किसान संघ की मांग,किसानों की फसल समर्थन मूल्य से कही भी कम पर ना खरीदी हो, कानूनन प्रावधान हो

बिलासपुर. विगत 5 जून 2020 को केंद्र सरकार द्वारा कृषि व्यापार के संदर्भ में 3 अध्यादेश लाये गए थे। इन अध्यादेशों का उद्देश्य सरकार ने यह बताया है कि इससे किसान देश भर में कही भी उपज बेच सकेगा। अब इन अध्यादेश को कानून का रूप देने के लिए संसद में रख कर सरकार ने पारित करवा कर महामहिम राष्ट्रपति जी के पास भेजा है।
भारतीय किसान संघ शुरू से ही स्वस्थ स्पर्धात्मक बाजार का पक्षधर रहा है। किन्तु अभी यह वास्तविकता है कि पहले भी किसान देश के किसी भी मंडी में बेच सकता था। इस नए कानून में निजी व्यापारी मंडी के बाहर बिना लाइसेंस खरीद सकेगा और इससे किसानों के लिये एक खरीद करने वाला बढ़ेगा। मण्डियों में होने वाले आर्थिक शोषण तथा मानसिक प्रताड़ना से राहत मिलने की संभावना है। किंतु उसे लाभकारी मूल्य मिलेगा या उसके साथ धोखेबाजी नहीं होगी इसकी कोई गारंटी इस कानूनों से नहीं मिल रही है।
संसद में पारित 3 कृषि व्यापार सम्बधित अध्यादेश पर भारतीय किसान संघ का अभिमत है कि जो व्यापारी आएगा उसे मात्र पैन कार्ड के आधार पर खरीदने की अनुमति दी गई है। यह तो किसान को ले डूबेगा। संविदा खेती को नए कलेवर में सामने रखा गया है। नाम तो आकर्षक है। किंतु उसमे भी समर्थन मूल्य की बात नहीं है । यदि किसानों को सही लाभ देना है तो उसे कम से कम समर्थन मूल्य पर खरीद का कानूनन प्रावधान किया जाना चाहिए। भारतीय किसान संघ की मांग है कि एक अलग से कानून बनाकर देश मे कही भी समर्थन मूल्य के निचे खरीद न होने यह सुनिश्चित करें।
सरकार जो घोषित उद्देश्यों को सफल बनाना चाहती है तो इनमे निम्न संशोधनों की महती आवश्यकता है, पहला तो कृषि उपज की कही भी होनेवाली खरीद को कम से कम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारण्टी कानूनन मिले। इस के लिए अलग से कानून लाये। व्यापारियों का पंजीयन केंद्र तथा राज्य में बैंक सिक्युरिटी के साथ हो और वह जानकारी सरकारी पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध हो। कृषि संबधित सभी प्रकार के विवादों के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायाधिकरण की स्थापना हो तथा यह विवाद किसान के जिले में निपटा जाय। जीवनावश्यक वस्तु अधिनियम में सुधार करते समय भंडारण सीमा पर के सभी निबंध हटाये गए है। विशेष परिस्थितियों में यह कानून लागू होगा। किन्तु उस मे से प्रसंस्करण और निर्यातक को दी गई छूट समझ से परे है। इससे तो उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना कर पड़ सकता है।
भारतीय किसान संघ ने लोकसभा, राज्यसभा में पारित होने के पूर्व ही, भारत में सभी सांसदों को अध्यादेशों के संशोधन के लिए ज्ञापन सौंपा था एवं साथ ही साथ ग्राम समितियों से प्रस्ताव कराकर प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजा था। केन्द्र सरकार किसानों की चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए भारतीय किसान संघ जिन संशोधनों की मांग कर रहा है उन्हे इस कानून में जोड़कर इसे तर्क संगत बनाए।