भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अजित वाडेकर की अनसुनी कहानी, जब ऐसे अचानक बदल गई इनकी किस्मत


नई दिल्ली. आज हम बात कर रहे हैं टीम इंडिया के ऐसे खिलाड़ी की जिन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को नई कामयाबी दिलाई थी. ये थे अजित वाडेकर (Ajit Wadeker), जिनका जन्म आज से ठीक 79 साल पहले ब्रिटिश इंडिया के तत्कालीन बंबई शहर में हुआ था. उनका पूरा नाम अजित लक्ष्मण वाडेकर था. बचपन में इनकी दिलचस्पी खेलकूद में न होकर गणित में ज्यादा थी. अजित के पिता इन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे और माता इनको डॉक्टर बनाना चाहती थीं. गणित में सबसे ज्यादा नंबर पाने के बाद जब इन्हें इनाम में नील हार्वे क्रिकेटर के ऑटोग्राफ वाला बैट मिला, तब से वो इस बल्ले को लेकर प्रैक्टिस करने लगे.

अजित जब एलिफेस्टन कॉलेज में पढ़ रहे थे, तब कॉलेज की टीम में एक खिलाड़ी की कमी होने पर इन्हें चुन लिया गया. यहीं से क्रिकेट के प्रति इनका रुझान बढ़ता चला गया. इधर कॉलेज की पढ़ाई और उधर क्रिकेट के मैदान में देर से पहुंचने पर ट्रेनर इन्हें मैदान के चारों ओर दौड़ाकर सजा दिया करते थे. इस सजा की वजह से इनका दौड़ने की अच्छी खासी प्रैक्टिस होने लगी. अजीत अच्छे निशानेबाज थे. वो एक ही पत्थर से कई-कई आम के फलों को एक साथ गिरा दिया करते थे. बम्बई विश्वविद्यालय से इन्होंने प्रथम श्रेणी में एमएससी की परीक्षा पास की.

जल्द ही वो रणजी ट्रॉफी के रेग्युलर खिलाड़ी बन गए, 3 दिसंबर 1966 को वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में उन्होंने पहला टेस्ट मैच खेला, 1971 में भारतीय टीम को वेस्टइंडीज दौरे पर जाना था. टीम चयन से पहले नेट प्रैक्टिस के बाद वाडेकर ने तब के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी से कहा, ‘टाइगर, मेरी फॉर्म अच्छी नहीं है. रन नहीं बन रहे हैं. देखो, टीम में चुना जाता हूं या नहीं.’ पटौदी ने जवाब दिया ‘क्या मजाक कर रहे हो. तुम कप्तान बनने जा रहे हो.’  पटौदी की बात सही हुई और वाडेकर विंडीज दौरे के लिए कप्तान बना दिए गए.

भारतीय वेस्टइंडीज दौरे पर रवाना हुई, जहां अजित की सेना ने कैरीबियाई टीम को टेस्ट सीरीज में 1-0 से मात दी. उत्साहित टीम इंडिया इसके बाद इंग्लैंड के दौरे पर गई. सीरीज के पहले 2 टेस्ट ड्रॉ रहे. ओवल में तीसरे टेस्ट में भारत को जीत के लिए 171 रन का लक्ष्य मिला. भारत ने जवाब में 134 रन पर 5 विकेट गंवा दिए. कप्तान वाडेकर तब भी जीत के प्रति आश्वस्त थे. पूरा ड्रेसिंग रूम तनाव में था. पर वाडेकर ज्यादा फिक्रमंद नहीं थे. इतना ही नहीं, जब आबिद अली ने विनिंग रन बनाया, तब तो वाडेकर मसाज टेबल पर लेटकर झपकी ले रहे थे.

अजित वाडेकर ने अपना 53वां जन्मदिन 1994 में न्यूजीलैंड दौरे पर टीम इंडिया के मैनेजर के तौर पर मनाया. वाडेकर के मुताबिक, ‘आधी रात को सचिन मेरे कमरे में आया और कहा कि कपिल देव को कुछ दिक्कत है. मैं तुरंत कपिल के कमरे में गया. मैं कपिल के कमरे में पहुंचा तो पूरी टीम केक के साथ मौजूद थी. मैं हैरान रह गया. फिर अचानक पास के कमरे से 6 बैले डांसर आए और नाचने लगे. मैं समझ गया कि यह सचिन के दिमाग की उपज थी. 15 अगस्त 2018 को अजित वाडेकर की लंबी बीमारी के बाद मुंबई में 77 साल की उम्र में निधन हो गया.

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