भारतीय-चीनी सैनिकों में तनाव के बीच IAF ने शुरू किया इमरजेंसी लैंडिंग रनवे का काम
श्रीनगर. दक्षिण कश्मीर में NH-44 पर आपातकालीन लैंडिंग हवाई पट्टी का काम शुरू हो गया है. रनवे पट्टी उस समय बनाई जा रही है जब लद्दाख में एलएसी पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध जारी है. भारतीय वायु सेना (IAF) ने दक्षिण कश्मीर के बिजबेहारा क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग NH-44 से सटे 3-5 किलोमीटर लंबे रनवे का निर्माण शुरू कर दिया है.
3.5 किलोमीटर लंबे रनवे का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है. इस रनवे को किसी भी आपात स्थिति में फाइटर जेट के लिए आपातकालीन रनवे सुविधा का उपयोग किया जाएगा.
इस तरह के आपातकालीन रनवे का निर्माण कश्मीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा क्योंकि कश्मीर में देश की सीमाएं पाकिस्तान और चीन के करीब हैं और उन देशों के बीच किसी भी आपात स्थिति के मामले में यह हवाई रनवे सेना और अन्य बलों को मदद प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
इसके अलावा यदि आतंकवादी वर्ष 2019 में उसी राजमार्ग पर हुए पुलवामा हमले की तरह हमला करते हैं तो उस वक्त भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसके अलावा यह प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ और अन्य आपदाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
यह रनवे पट्टी उस समय बनाया जा रहा है जब लद्दाख में एलएसी पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध जारी है और लद्दाख को शेष देश से जोड़ने वाला प्रमुख राजमार्ग इस राजमार्ग के माध्यम से कश्मीर से गुजरता है.
श्रीनगर-बनिहाल राजमार्ग पर 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी का निर्माण NH-44 के साथ 246.2 किलोमीटर से 249.7 किलोमीटर के बीच किया जा रहा है.
2017 में निर्माण की योजना बनाई गई थी. एक अधिकारी ने कहा कि यह पट्टी देश भर में बनाई जाने वाली 12 अन्य स्ट्रिप्स में से एक है. अन्य राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और गुजरात में ऐसी ही हवाई पट्टी का निर्माण किया जा रहा है.
साइट इंजीनियर परवीन कहते है, “हमें आठ महीने का टार्गेट दिया गया है. लॉकडाउन और खराब मौसम के कारण काम में देरी हो गई है. यह एक इमरजेंसी रनवे बन रहा है तो कभी हालात खराब होते हैं या कभी युद्ध होता है, उस वक्त यहां से उड़ सकते हैं विमान.”
रनवे पट्टी पर सुपरवाइजर शिवा कहते हैं, “ यह अपने फायदे के लिए हो रहा है. कल को अगर युद्ध की संभावना हो जाती है तो इसलिए हम यह बना रहे हैं, इसकी कभी जरूरत पड़ सकती है.” दक्षिण कश्मीर में 3.5 किलोमीटर लंबी यह पट्टी लगभग आठ महीनों में 119 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होगी.