भारत का चीन पर अब ‘Education Strike’, चीनी छात्रों के एजुकेशन वीजा नियम में सख्ती


नई दिल्ली. भारत- चीन सीमा (Indo-China Border) विवाद के बाद भारत सरकार (Indian Government) चीन के खिलाफ सख्त हो गया है. गलवान घाटी (Galwan valley) में मारे गए सैनिकों को किसी भी हाल में भारत भुला नहीं सकता है. पहले भारत सरकार ने चाइनीज ऐप (Chinese App) बन किया फिर अब चीनी छात्रों को लेकर भी बड़ा फैसला लिया है. पूरी दुनिया से तकरीबन ढाई करोड़ विदेशी हर साल भारत का दौरा करते हैं. जिसमें से करीब ढाई लाख चीनी नागरिक होते हैं. ऐसे चीनी छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है ,जो स्टूडेंट वीजा पर भारत आते हैं. बीते कुछ सालों में भारत की 54 विश्वविद्यालयों (54 Universities) और संस्थानों के साथ चीन का ‘स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम’ (Student Exchange Program) में करार हुआ है, जिसमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ,जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थान शामिल, लेकिन अब केंद्र सरकार चीनी छात्रों की एजुकेशन वीजा पर नकेल लगाने की तैयारी कर रही है। यानी अब पाकिस्तानी छात्रों का भारत में पढ़ना जितना मुश्किल होता था, चीनी छात्रों का भी उतना ही मुश्किल बन जाएग…

दरअसल ,साल 1987 फिर भी चीनी सरकार चीन के छात्रों को अपने देश की सॉफ्ट पावर बढ़ाने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों में भेजने के लिए कार्यक्रम चला रही है। इसे चीनी भाषा में Hanban कहां जाता है. जिसमें चीन की भाषा के विस्तार और उसकी संस्कृति के फैलाव के लिए अलग-अलग देशों के विश्वविद्यालयों के साथ करार होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे चीन की साम्यवादी विचारधारा और चीनी सरकार का दखल उस देश के शिक्षा तंत्र में बढ़ता चला जाता है. इसी वजह से 2018 में ऑस्ट्रेलिया ने अपने एजुकेशन वीजा नियमों को कड़ा किया था, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में चीन के छात्र पढ़ते हैं जो धीरे-धीरे ऑस्ट्रेलिया की छात्र राजनीति में दखल देना शुरू कर चुके हैं और विश्वविद्यालयों में आंदोलन तक होने लगे हैं.

बीते कुछ समय में अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने भी चीन के ऊपर सख्त रुख अख्तियार करते हुए चीन की ऐसी सभी योजनाओं को फौरन मिशन माना है, जिससे ऐसी योजनाओं के लिए मंजूरी मिलना पहले से ज्यादा सख्त हो गया है. भारत  की सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्र सरकार को चीनी छात्रों के द्वारा भारतीय राजनीतिक दलों ,छात्र राजनीति ,वैचारिक थिंक टैंक और पॉलिसी मेकिंग में हस्तक्षेप करने की बात कही थी. खासतौर पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को लेकर.. जिसके बाद विदेश मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय ने मिलकर इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की तरफ पहल की है.

किसी भी देश की सांस्कृतिक जड़े उसकी शिक्षा व्यवस्था में होती है और उस राष्ट्र का भविष्य उसके छात्रों में. लिहाजा भारत ने चीनी छात्रों पर लगाम लगाने के साथ ही राष्ट्र के भविष्य को सुरक्षित रखने की तरफ अहम कदम उठाए हैं.

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