भारत के पक्ष में खुलकर आया अमेरिका, चीन पर किया प्रचंड प्रहार
वॉशिंगटन. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (US Secretary of State Mike Pompeo) ने चीन पर निशान साधते हुए कहा है कि भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया (India, Australia, Japan and South Korea) बीजिंग को हर मोर्चे पर पीछे धकेलने के लिए अमेरिका के साथ आने के लिए तैयार हैं. उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया चीन की अनुचित प्रथाओं और आक्रामकता के खिलाफ खड़ी है.
मंगलवार को फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में, पोम्पियो ने कहा, ‘मुझे लगता है कि पूरी दुनिया को समझ आ गया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से निष्पक्ष और पारदर्शिता की उम्मीद नहीं की जा सकती. वह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से प्रतिस्पर्धा करने से इनकार कर रहा है, इसलिए सभी बीजिंग के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं’.
भारत हमारे साथ
एक सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेशमंत्री ने कहा कि भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान या दक्षिण कोरिया में जो हमारे दोस्त हैं, सभी अपने अपने देश को होने वाले खतरे को महसूस कर रहे हैं. लिहाजा आप उन्हें बीजिंग को हर मोर्चे पर धकेलने के लिए अमेरिका के साथ खड़ा पाएंगे’. दरअसल, इंटरव्यू के होस्ट लू डोब्स भारत-चीन विवाद के मद्देनजर अमेरिका और भारत के रिश्तों को लेकर एक प्रश्न पूछा था जिसके जवाब में पोम्पियो ने यह बात कही.
खतरे को स्वीकार रहे
माइक पोम्पियो ने कहा, ‘इस जंग में हमारे पास दोस्त और सहयोगी हैं. हमने इसके लिए दो साल से काम किया है और अब पूरी दुनिया चीन के खिलाफ एकजुट होना शुरू हो गई है. आपने बहुत से देशों को हुआवेई से दूर जाते देखा है, क्योंकि वह चीन के खतरे को स्वीकार करते हैं’. मालूम हो कि बीजिंग दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताता है. वह ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम द्वारा दावा किए गए क्षेत्र में भी कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है. जबकि भारत का कहना है कि दक्षिण चीन सागर एक “वैश्विक कॉमन्स का हिस्सा” है और यह दृढ़ता से इन अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों में नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता के लिए खड़ा है. दक्षिण चीन सागर में बीजिंग द्वारा किए गए क्षेत्रीय दावों को अमेरिका ने भी स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया था.
डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ
पोम्पियो ने ने चीन के मुद्दे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा कि राष्ट्रपति बीजिंग की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं. आप चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर अमेरिकी दबाव महसूस कर सकते हैं. राष्ट्रपति ट्रंप चीन को हर मोर्चे पर पीछे धकेलने पर जोर दे रहे हैं और इस अभियान में कई मित्र राष्ट्र हमारे साथ हैं.