भ्रष्टाचार : संविदा भर्ती और टीबी रोगियों को लाभ पहुंचाने के नाम पर किया जा रहा है गड़बड़झाला

बिलासपुर. जिला क्षय नियंत्रण कार्यालय में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। फर्जी मरीजों के नाम पैसे बांटकर विभाग की मुख्य अधिकारी गायत्री बांधी मनमानी कर रही है। संविदा कर्मचारियों का चयन और मेंटनेस के मद का पैसा शासन की आंखों में झूलकर बंदबांट किया गया है। विभाग में जारी भ्रष्टाचार की शिकायत मंत्रालय स्तर पर की जा चुकी है लेकिन उल्टे शिकायतकर्ता को ही यहां धमकी-चमकी दी जा रही है।
अपनाहित साधने के लिए महिला अधिकारी गायत्री बांधी ने मूलत: बिहार निवासी आशीष सिंह को संविदा कर्मी की नियुक्ति दिला दी। अब आशीष सिंह अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर विभाग के कार्य में भारी कूटरचना कर रहे हैं। व्यापक रूप से अपनी पैठ जमा चुकी महिला अधिकारी की मनमानी के चलते जिले में टीबी बीमारी से ग्रसित मरीजों को लाभ नहीं मिल रहा है। वर्ष 2013 से गायत्री बांधी जिला क्षय रोग विभाग में डीटीओ पद पर काबिज है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अभी इनका तबादला नहीं किया गया है।
अति विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जिला क्षय रोग विभाग में संविदा कर्मचारियों की भर्ती गायत्री बांधी के नेतृत्व में अनाप-शनाप तरीके से की गई। बिना अनुभव वाले कर्मचारियों को यहां फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के माध्यम से भर्ती कर ली गई। भर्ती परीक्षा में चयन करने के सारे मांपदंड को दरकिनार करते हुए संविदा कर्मचारी आशीष सिंह अपनी मर्जी से कर्मचारियों की नियुक्ति की है। मार्च 2020 में सिविल वर्क मेंटनेंस का पैसा डकार लिया गया।
बताया जा रहा है कि करगीरोड कोटा में मिस्क्षय पोषण योजना के तहत एक लाख 73 हजार रुपये की राशि को फर्जी मरीज बनाकर बांट दिया गया। करगीरोड कोटा क्षेत्र के वास्तव में रोगियों को इसका लाभ नहीं मिल सका, वे लोग सरकार की ओर अभी भी आस लगाए बैटे हैं। शायद कोटा क्षेत्र के मरीजों को यह नहीं मालूम हो कि उनके हिस्से का पैसा अपात्र लोगों के हाथों में सौंपा जा चुका है। जिला क्षय नियंत्रण कार्यालय को अपनी मुट्ठी में रखने वाली डीटीओ गायत्री बांधी और संविदा कर्मचारी आशीष सिंह के खिलाफ अवाज उड़ाने वाले को धमकी-चमकी खुलेआम दफ्तर में ही दी जाती है।
जिला क्षय नियंत्रण कार्यालय में टीबी बीमारी से ग्रसित रोगियों के साथ सीधा छलावा हो रहा है। सीएमओ प्रमोद महाजन पर न जाने क्या दबाव बनाया गया है कि वे डीटीओ गायत्री बांधी के द्वारा किए जा रहे कार्यो की समीक्षा भी नहीं करा पा रहे हैं। गायत्री बांधी के कार्यकाल से लेकर अभी तक किए भुगतान और संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की अगर सूक्ष्मता से जांच की गई तो दूध का दूध और पानी का पानी होना संभव है।
वर्तमान मस्तूरी विधायक की बहन होने के कारण गायत्री बांधी द्वारा किए जा रहे अनाप-शनाप कार्याे पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा पर्दा डाला जा रहा है। जिला क्षय रोग विभाग में कार्यरत कर्मचारी कार्य के दौरान पंचायत चुनाव में प्रत्याशी बन जाता है और मस्तूरी विधायक स्वयं उसका चुनाव प्रचार करता है इस बात की भनक स्वास्थ्य विभाग को नहीं रहती। जनहित में टीबी बीमारी से पीडि़त लोगों को सहीं उपचार पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। भूपेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन बेलगाम हो चुके आला अधिकारी सरकारी योजना में जमकर भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिला क्षय रोग विभाग में पदस्त महिला अधिकारी गायत्री बांधी वर्ष 2013 से एक जगह पर काबिज हैं। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अभी तक उनका तबादला नहीं किया गया है, जो समझ से परे है।