मरकज और जमातियों के बैंक अकाउंट से जुड़ा बड़ा खुलासा, विदेश से इस तरह आता था बेशुमार पैसा


नई दिल्ली. मौलाना साद (Maulana Saad) और उसके बेटों समेत मरकज के 11 बैंक अकाउंट समेत 125 संदिग्ध बैंक अकाउंट क्राइम ब्रांच की रडार पर आ गए हैं. जांच के दौरान एजेंसियों को पता चला कि ये वो जमाती हैं, जिनके बैंक अकाउंट में जनवरी से मार्च के महीने में काफी पैसा आया था.

बाद में ये पैसा दूसरे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो गया. क्राइम ब्रांच ने ऐसे ही 125 बैंक अकाउंट की लिस्ट बनाई है. जिसमें कुछ विदेशों से आए जमाती भी हैं. करीब 2041 जमाती मरकज से जुड़े हुए हैं. क्राइम ब्रांच को शक है कि इतने ज्यादा बैंक अकाउंट के जरिए विदेशों से मिलने वाली विदेशी करेंसी को हवाला के जरिए भारतीय करेंसी में बदलकर छोटी-छोटी रकम के तौर पर डाल दी जाती होगी, ताकि बैंक की गाइडलाइंस के मुताबिक किसी को कोई शक भी नहीं होगा.

उसके बाद उन पैसों को कहीं दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है. क्राइम ब्रांच अब इन 125 अकाउंट होल्डर की पहचान करने में जुटी है. क्राइम ब्रांच को अभी तक अपनी जांच में पता चला है कि सबसे ज्यादा पैसे सऊदी अरब और मिडल ईस्ट के देशों से मरकज को हवाला के जरिए मिलता था.

पैसों को जमातियों के रहने-खाने और धर्म के प्रचार के लिए लिया जाता था. विदेशों के आर्थिक रूप से सम्पन्न तबलीगी जमात के लोगों से एक दिन में 1000 जमातियों के रहने-खाने और पीने के खर्चे के तौर पर अगर 50,000 का खर्चा आता है और इस 50 हजार को 365 दिन यानी एक साल के हिसाब से गुणा करें, तो ये बहुत बड़ा अमाउंट हो जाता है. ऐसी मोटी रकम लगातार मरकज को मिलती रहती थी, जिसको अलग-अलग बैंक अकाउंट में डाल दिया जाता था.

धर्म के प्रचार के लिए जाने वाली टुकड़ी ऐसे बचाती थी पैसे !

सूत्रों के मुताबिक अपने धर्म के प्रचार के लिए मरकज से अलग-अलग टुकड़ियां बाहर जाती थीं, किस टुकड़ी में कितने लोग हैं और उनके आने-जाने, रहने और खाने पीने पर कितना खर्च आएगा, इस पर बहुत सी चीजें तय होती थीं. किस टुकड़ी में कौन-कौन जाएगा, इसका फैसला भी मौलाना साद करता था.

टुकड़ी में जाने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति भी देखी जाती थी, हर टुकड़ी में कुछ विदेशी भी होते थे. हर एक टुकड़ी का एक लीडर बना दिया जाता था, और हर टुकड़ी से पैसा जमा करा लिया जाता था. जमा कराया पैसा टुकड़ी के लीडर को दे दिया जाता था. उस लीडर के पास ही उस पैसों को खर्च करने का अधिकार होता था.

सूत्रों का कहना है कि जमात की टुकड़ी जिन इलाकों में जाती थी, अमूमन वहां पर यह लोग मस्जिदों में रहते थे. साथ ही स्थानीय लोगों के घरों में खाते पीते थे. ऐसे में इन लोगों का खर्च बेहद कम होता था. पूछताछ के दौरान इस तरह के तथ्य सामने आए हैं कि जो पैसा बच जाता था वह जमात के निजामुद्दीन मुख्यालय का मान लिया जाता था.

पूछताछ के दौरान यह भी पता चला है कि पैसों का लेन देन अलग-अलग लोग करते थे, लेकिन पैसों वाले खातों का हिसाब मौलाना साद के तीन बेटों मोहम्मद यूसुफ, मोहम्मद सईद और मोहम्मद इलियास के साथ-साथ मौलाना साद के भांजे ओवैस के पास रहता था.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!