महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर दर्शनार्थियों का नगर के मंदिरों में दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
रतनपुर.भगवान शंकर के स्वयंभू लिंगो में से एक रतनपुर का वृद्धेश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर जो अपनी प्रसिद्धि के साथ अनेक गूढ़ रहस्यों को समेटे हुए है । इस वृद्धेश्वर महादेव को जिसे बोलचाल की भाषा में बूढ़ा महादेव भी कहा जाता है। यह मंदिर सुरम्य वादियों के बीच राम टेकरी की तराई पर स्थापित है जहां पर आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर सुबह से ही भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा । इसी तरह से आज महाशिवरात्रि पर्व पर मां महामाया मंदिर, पंचमुखी मंदिर, कंठी देवल मंदिर में पूजा अर्चना दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे ।राम टेकरी के नीचे स्थित वृद्धेश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर है जो पूरे क्षेत्र में अनूठा है। इस मंदिर के निर्माण के संबंध में कोई स्पष्ट प्रमाण अभी तक नहीं मिल पाया है एक किवदंती के अनुसार ऐसी जनश्रुति है कि इस मंदिर को द्वापर युग में राजा वृद्धसेन ने बनवाया था । जिसने अपने नाम के अनुरूप उसका नाम वृद्धेश्वर नाथ महादेव रख दिया । जिसका अपभ्रंश बूढ़ा महादेव के नाम से भी जाना जाता है । इस मंदिर के संबंध में पुजारी पंडित कृष्णा महाराज ने यह भी बताया कि यह मंदिर काफी जीर्णसिर्ण अवस्था में थी । जिसका जीर्णोद्धार सन 1050 में राजा रत्नदेव ने करवाया था । जिसने रतनपुर नगरी को बसाया था । इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह स्वयंभू है इसमें लिंग नहीं है। यह महादेव जटा रूप में विराजमान है । जिसमें हमेशा जल भरा रहता है । इसकी खासियत यह है कि इसमें कितना भी जल अभिषेक किया जाए वो पूरा का पूरा जल इसमें समाहित हो जाता है । कलयुग का यह एक सुखद आश्चर्य है । इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक पाषाण नंदी भी विराजमान है जिसकी पूजा के पश्चात भक्तगण भीतर प्रवेश करते हैं । आज महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर सुबह 4 बजे से ही दर्शन पूजन के लिए भक्तों का ताता लग गया। जो देर शाम तक भक्तगण अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस महादेव की पूजा-अर्चना करते रहे । इसी तरह से सिद्ध शक्तिपीठ मां महामाया देवी मंदिर, पंचमुखी मंदिर, कंठी देवल,वैरागवन मंदिर मे भी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भारी संख्या में लोगों ने पहुंच कर पूजा अर्चना दर्शन किया । जहां पर उन्होंने अपने परिवार के लिए सुख शांति समृद्धि का आशीर्वाद भी मांगा है । शिव भक्तों का कहना है आज के दिन जो भी सच्चे हृदय से भगवान शिव का पूजा अर्चना करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है । इसलिए वे हर वर्ष बूढ़ा महादेव मंदिर में पूजा अर्चना दर्शन के लिए आते हैं ।
कहा जाता है कि वर्शो पहले एक वृध्दसेन नामक राजा हुआ करता था । जिसके पास अनेंक गाये हुआ करती थी । जिसे लेकर चरवाहा जंगल में चरानें जाता था । तो उसके साथ चरने गई गायों में से एक गाय झुण्ड से अलग होकर बांस के झुंड में घुस जाया करती थी और उसके थनों से दुग्ध निकलने लगता था। ऐसा प्रति दिन होता था। चरवाहे नें गाय का रहस्य जान इस बात की जानकारी राजा रुद्रसेन को दी । राजा ने भी इस बात की पुश्टी कर आष्चर्य किये बिना ना रह सका। लेकिन राजा को यह बात समझ नहीं आई । उसी रात भगवान ने राजा को स्वप्न देकर अपने होने का प्रमाण दिया और उस स्थान पर मंदिर बनाये जाने और पूजा किये जाने की बात कही और इस प्रकार राजा वृध्दसेन ने अपने नाम के साथ भगवान का नाम जोड़कर मंदिर का नाम वृध्देष्वरनाथ मंदिर रखा। जहां भक्तो के साथ साथ बड़ी संख्या में कांवरिये आते है और जल चढ़ाते हैं । जिनकी मनोकामना पूर्ण होती है ।