माकपा की मांग : मनरेगा में पंजीकृत सभी परिवारों को दो काम


रायपुर.मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि सरकारी दावों के विपरीत बड़े पैमाने पर ग्रामीणों को मनरेगा के कार्यों से वंचित किया जा रहा है। पार्टी ने अपने आरोप के समर्थन में मीडिया के लिए धमतरी जिला के नगरी जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जारी आदेश को भी संलग्न किया है, जिसमें उन्होंने पंचायतों को स्कूलों में काम करने वाले रसोइयों व सफाई कर्मियों को मनरेगा में काम न देने के लिए निर्देशित किया है।

माकपा ने बताया है कि ऐसे आदेश पर अमल से पूरे राज्य में लगभग डेढ़ लाख लोग मनरेगा में काम करने से वंचित हो गए हैं। इन लोगों द्वारा काम मांगने के बावजूद इन्हें रोजगार नहीं दिया जा रहा है। माकपा ने तत्काल इस आदेश को वापस लेने की मांग की है और इस गैर-कानूनी आदेश से पीड़ित लोगों को 12 दिन की मजदूरी देने की मांग की है। माकपा ने नगरी जनपद के ग्राम पंचायत गढ़डोंगरी के गांव बोकराबेडा की सुशीला नामक विधवा के रोजगार कार्ड की छायाप्रति भी जारी की है, जिसे रसोईया का काम करने के कारण वर्ष 2011-12 के बाद से आज तक मनरेगा के काम से वंचित कर दिया गया है और सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी छीन ली गई है।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि प्रदेश में पंजीकृत 39 लाख परिवारों में से अप्रैल में केवल 10.24 लाख परिवारों को ही 1.23 करोड़ मानव दिवस का रोजगार दिया गया है। इसका अर्थ है कि काम चाहने वाले परिवारों में से मात्र 38% परिवारों को ही औसतन 12 दिनों का रोजगार दिया गया है। छत्तीसगढ़ की जमीनी हकीकत के साथ इन आंकड़ों को प्रभावशाली नहीं माना जा सकता है।

माकपा नेता ने कहा कि वास्तविकता यह है कि कोरोना संकट के कारण जब लोगों की बड़े पैमाने पर आजीविका छीन ली गई है और गांव के अंदर पहुंचने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या भी बढ़ गई है, मनरेगा के जरिए आजीविका को सुरक्षित करने के लिए उठाए जा रहे कदम नितांत अपर्याप्त हैं और विभिन्न कारणों से वास्तव में तो ग्रामीणों को काम से वंचित ही किया जा रहा है। स्कूलों में काम करने वाले रसोईयों और सफाईकर्मियों को काम न देने के आदेश को गैरकानूनी करार देते हुए उन्होंने कहा है कि मनरेगा में काम मांगने वाले पंजीकृत परिवारों को प्रशासन काम देने या बेरोजगारी भत्ता देने के लिए तो बाध्य है, लेकिन स्कूलों में 50 रुपये रोज कमाने वाले मजदूरों या उसके परिवार को रोजगार से वंचित रखने का अधिकार नहीं है। ऐसे लोग, जो कहीं अन्य जगह कुछ मजदूरी करके भी गुजारा करते हैं, वे अपने सुविधानुसार निर्धारित मात्रा का काम करके मजदूरी पाने के हकदार हैं।

माकपा ने मांग की है कि कोरोना संकट के कारण ग्रामीणों की आजीविका को पहुंचे नुकसान के मद्देनजर मनरेगा में पंजीकृत हर परिवार को न्यूनतम 2000 रुपयों की राहत राशि प्रदान की जाए तथा मई व जून के सभी दिनों में सभी परिवारों को काम देने या न देने की स्थिति में भी मजदूरी देने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि खेती किसानी के कामों को भी मनरेगा से जोड़कर सभी ग्रामीणों के लिए रोजगार पैदा किया जा सकता है। केवल ऐसे कदमों से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रक्षा हो पाएगी।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!