मुनाफे के लिए खेती-किसानी की कीमत पर बाल्को का विस्तार, होगा पर्यावरण सुनवाई का विरोध : किसान सभा

रायपुर. छत्तीसगढ़ किसान सभा ने बाल्को परियोजना के विस्तार के लिए कल प्रस्तावित जन सुनवाई का विरोध करते हुए कहा है कि बाल्को की परियोजना से वेदांता कंपनी के मुनाफे तो बढ़ेंगे, लेकिन खेती-किसानी और रोजगार को नुकसान पहुंचेगा। किसान सभा ने फर्जी आंकड़ों और गलत तथ्यों के सहारे पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने की बाल्को प्रबंधन की तिकड़मबाजी की भी निंदा की है।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और कोरबा जिले के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा है कि हसदेव बांगो परियोजना से किसानों को 2578 मिलियन घन मीटर पानी देकर 4.33 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचाई का वादा किया गया था, लेकिन पिछले दस सालों में औसतन 1.93 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई के लिए ही पानी दिया गया है। बाकी पानी को उद्योगों की ओर मोड़ दिया गया है। बाल्को के इस विस्तार परियोजना से सिंचाई के पानी में 6 एमसीएम की और कमी आएगी, जिससे 3500 एकड़ की खेती और इस पर निर्भर 7000 खेतिहर परिवार प्रभावित होंगे। किसान सभा नेताओं ने कहा कि इस भूमि पर 35 करोड़ रुपयों की उपज होती है, जबकि बाल्को के विस्तार परियोजना से केवल 1000 लोगों को अस्थाई किस्म का रोजगार मिलेगा, जिन्हें साल भर में मजदूरी में 10 करोड़ रुपयों से भी कम वितरित होगा। इस तरह से यह परियोजना प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए भी नुकसानदेह है।
किसान सभा ने कहा है कि इन परियोजना के कारण वायु-जल  की गुणवत्ता और पर्यावरण-पारिस्थितिकी में बदलाव न आने का बाल्को प्रबंधन का दावा थोथा है। वास्तविकता यह है कि कोरबा जिले के खराब पर्यावरण और इसके कारण उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बाल्को अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता। निजीकरण के बाद पर्यावरण के नियमों और विभाग के दिशा-निर्देशों की इस कंपनी ने कभी परवाह नहीं की है, जिसके कारण कोरबा में प्रदूषण का मामला और गंभीर हुआ है। यह परियोजना प्रदूषण को और बढ़ाएगी ही। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि बाल्को के खराब रिकॉर्ड को देखते हुए पर्यावरण सुनवाई पर तुरंत रोक लगाए।

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