मुश्किल में घिरे नेपाल के PM ओली भारतीय न्यूज चैनलों से बैन हटाने पर हुए मजबूर
काठमांडू. भारत (India) से विवाद और चीन (China) से नजदीकी के चलते अपनी कुर्सी गंवाने की दहलीज पर खड़े नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (K. P. Sharma Oli) के तेवर नरम पड़ गए हैं. ओली सरकार ने भारतीय न्यूज चैनलों (Indian News Channels) पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है.
नेपाल के डिश होम मैनेजिंग डायरेक्टर सुदीप आचार्य ने सरकार के इस कदम की पुष्टि करते हुए बताया है कि बैन किए गए भारतीय न्यूज चैनलों को फिर से दिखाए जाने की अनुमति मिल गई है. ओली सरकार ने 9 जुलाई को दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय न्यूज चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके पीछे तर्क दिया गया था कि ‘भारतीय न्यूज चैनल प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और नेपाल में चीनी राजदूत को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके मद्देनजर मल्टी सिस्टम ऑपरेटर (MSO) ने नेपाल में भारतीय न्यूज चैनलों को प्रसारित न करने का फैसला किया है’.
वहीं, प्रधानमंत्री ओली और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कुमार दहल उर्फ प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal -Prachanda) के बीच गतिरोध कायम है. रविवार को दोनों के बीच तकरीबन तीन घंटे चली बैठक बेनतीजा साबित हुई. इससे पहले भी कई बार ओली और प्रचंड में गतिरोध समाप्त करने की कोशिशें हो चुकी हैं. हाल ही में प्रचंड ने ओली के आधिकारिक आवास पर उन्हीं की गैर-मौजूदगी में स्टैंडिंग कमेटी की बैठक करके यह साफ कर दिया था कि वह किसी भी कीमत पर पीछे हटने वाले नहीं हैं.
नेपाल में चीनी राजदूत हाओ यांकी लगातार इस विवाद को सुलझाने में लगी हुई हैं. दरअसल, चीन चाहता है कि केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहें, ताकि वह अपने काले कारनामों को अंजाम दे सके. एक रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि चीन अपने हित में होने वाले फैसलों के लिए ओली को आर्थिक फायदा पहुंचाता है. हालांकि, जिस तरह का विरोध ओली को लेकर पार्टी में है, उसे देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि यांकी अपनी कोशिशों में कामयाब हो पाएंगी.