मूक-बधिर के साथ दुष्कर्म करने वाले 72 वर्षीय आश्रम संचालक को हुआ 10 वर्ष का सश्रम कारावास

भोपाल. न्यायालय श्रीमति कुमुदनी पटेल अपर सत्र न्यायाधीश भोपाल ने मूक बधिर बालिका एवं अन्य नाबालिक बालकों के साथ यौन शोषण एवं मारपीट करने वाले साईं विकलांग आश्रम के संचालक 72 वर्षीय एमपी अवस्थी को धारा 376 2, ;ग, 377 3, के तहत 10-10 वर्ष के कारावास एवं धारा 374 व 323 के तहत 1-1 वर्ष का कारावास एवं 2, 43, 000 रूपये के अर्थदंड से दंंडित किया। साक्ष्य के अभाव में मीता मिश्रा को दोषमुक्त किया गया है। शासन की ओर से पैरवी अति. जिला अभियोजन अधिकारी टीपी गौतम एवं विशेष लोक अभियोजक श्रीमती मनीषा पटेल द्वारा की गयी। विदित है कि आरोपी एमपी अवस्थी को उक्त न्यायालय के द्वारा पूर्व में भी आश्रम में नाबालिक मूक बधिर बच्चों के साथ छेडछाड करने के संबंध में धारा 9/10 पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत 5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माने की राशि से दंडित किया जा चुका है। जनसंपर्क अधिकारी भोपाल संभाग मनोज त्रिपाठी ने बताया कि दिनांक 14/09/2018 को मूक बधिर पीडिता ने अनुवादक के साथ थाना खजूरी सडक भोपाल में उपस्थित होकर रिपोर्ट दर्ज कराई कि मेरे माता पिता मुझे 2010 में साई विकलांग आश्रम बैरागढ़ भोपाल में पढ़ने के लिये छोड आये थे। साई विकलांग आश्रम बैरागढ़ के संस्थापक एमपी अवस्थी है तथा मीता मिश्रा इसी आश्रम में कार्यरत थी। 2010 में पहली बार एमपी अवस्थी् ने रात 12 बजे मुझे हॉस्टाल के कमरे में बुलाया और मेरे साथ जबरदस्ती बुरा काम किया। एमपी अवस्थीे ने 2010 से 2011 के बीच मेरे साथ कई बार जबरदस्तीर बुरा काम किया तथा एमपी अवस्थीा एवं मीता मिश्रा मुझसे झाडू, पोछा, बर्तन एवं स्वंय के कपडे धुलाने का काम जबरदस्ती करवाया करते थे। मीता मिश्रा द्वारा मेरे साथ मारपीट की जिसके निशान आज भी मेरे शरीर पर है। पीड़िता 2010 से 2011 तक आश्रम में रही तत्पनश्चात उसकी शादी हो गई। शादी के बाद पीड़िता इंदौर में रहने लगी। पीड़िता द्वारा उक्त कृत्यर के बारे में एक अन्य दिव्यांग को बताया तो उसने बताया कि उसके और दो अन्यक दिव्यांगों के साथ एमपी अवस्थी द्वारा कई बार उनके साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म किये गये है और उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई एवं मीता मिश्रा द्वारा कई बार उनके साथ मारपीट की गई। उक्त सूचना पर थाना खजूरी सडक द्वारा धारा 376/ 376 एफ, 376 एल, 376 एन, 377, 374, 323, 506, 34 भादवि एवं 5/6 , 5/6 एल, पाक्सो एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था। विवेचना के दौरान पीड़िता एवं तीनों दिव्यांग बालकों ने अपने साथ आप्रकृतिक दुष्कर्म की जानकारी दी थी। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र पेश किया गया था।