मोहम्मद कैफ का टेस्ट करियर क्यों रहा छोटा, खुद बताई वजह


नई दिल्ली. टीम इंडिया के पूर्व बैट्समैन मोहम्मद कैफ (Mohammad Kaif) को जितना उनकी बैटिंग के लिए जाना जाता है, उससे कहीं ज्यादा उन्हें अपनी फिल्डिंग के लिए पहचाना जाता है. भारत का सबसे बेहतरीन फील्डर होने के साथ-साथ कैफ ने अपने बल्लेबाजी के दम पर न सिर्फ भारतीय टीम को साल 2002 में नेटवेस्ट टॉफी का खिताब जिताया, इसके साथ ही उन्होनें भारतीय टीम को अंडर-19 वर्ल्ड कप की ट्रॉफी भी दिलाई थी. टीम में इतने अच्छे प्रदर्शन के बावजूद कैफ को कभी टेस्ट क्रिकेट में खेलने के भरपूर मौके नहीं मिले क्योंकि उस वक्त राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी टेस्ट टीम में मौजूद थे.

कैफ ने एक अखबार के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘उस समय टीम इंडिया में बड़े नाम जैसे कि सचिन, द्रविड़, सहवाग शामिल थे. इसलिए मुझे और युवराज सिंह (Yuvraj Singh) को ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिला, हालांकि युवी को मुझसे ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला.’

गौरतलब है कि कैफ इंडिया के लिए केवल 13 टेस्ट मैच ही खेल सके. अपने टेस्ट डेब्यू के बारे में खुलासा करते हुए कैफ ने बताया कि अंडर-19 वर्ल्ड कप के कुछ दिन बाद ही उन्हें भारतीय टेस्ट टीम के लिए चुन लिया गया था. कैफ ने कहा  ‘जब मुझे टेस्ट टीम के लिए कॉल आया था तो मैं हैरान रह गया था. भारत ने पहली बार अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता था, तो मीडिया में भी इसको लेकर काफी चर्चा थी. तब एक चैलेंजर टूर्नामेंट हुआ था, जिसमें ज्यादातर अंडर-19 क्रिकेटरों को खेलने का मौका मिला था. मैंने बैक टू बैक दो मैचों में 90+ स्कोर बनाया था, फिर मुझे टेस्ट टीम में मौका मिला.’

साल 2006 का एक किस्सा शेयर करते हुए कैफ ने बताया कि उस समय एक भारतीय खिलाड़ी के चोटिल होने के कारण उन्हें टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला. इस मौके को कैफ ने दोनों हाथों से लपक लिया, पर फिर भी उन्हें भारतीय एकादश से निकाल दिया गया. कैफ ने कहा ‘मुझे 2006 में नागपुर में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला था, जब कोई खिलाड़ी चोटिल था और मैंने 91 रन बनाए थे. फिर वो खिलाड़ी फिट हो गया और मैं टीम से ड्रॉप कर दिया गया. वो टीम इतनी मजबूत थी कि मुझे ज्यादा मौके ही नहीं मिले. वो सभी दिग्गज क्रिकेटर्स थे. सचिन और द्रविड़ जैसे लीजेंड्स जिन्होंने हम लोगों को प्रेरित किया.’

कैफ ने बताया, ‘लेकिन मुझे लगता है कि टेस्ट क्रिकेट में कुछ जल्दबाजी हो गई, एलन डोनाल्ड, शॉन पोलक, नैंटी हेवार्ड जैसे गेंदबाजों का सामना करने के लिए मैं उस समय बस 20 साल का था. वो काफी तेज गेंदबाज थे. यह मेरे लिए सीखने वाला अनुभव था, यह ऐसा था कि नौसिखिए तैराक को गहरे पानी में डाल दिया गया हो और कहा गया हो कि वो अपनी खुद हेल्प कर ले.’

उन्होंने आगे कहा ‘सच कहूं तो मैं उस समय उस तरह के तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिए तैयार नहीं था, जिनका मैंने पहले कभी सामना नहीं किया था. वो काफी बाउंसर्स फेंकते थे. यह बड़ा अंतर था, फिर मुझे टीम से ड्रॉप कर दिया गया था, वनडे में डेब्यू के लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी. इंग्लैंड के खिलाफ अपने होमग्राउंड कानपुर में मैंने वनडे इंटरनेशनल डेब्यू किया था. उन 2 सालों में मैंने काफी कुछ सीखा कि इंटरनैशनल लेवल पर कैसे खेलते हैं.’

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