ये वायरस टेनिस के इतिहास की किताब फिर से लिख रहा, महेश भूपति का आया रिएक्शन


नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी की वजह से पूरे स्पोर्ट्स कैलेंडर में उथल पुथल मच गई है, और टेनिस एक ऐसा खेल है जिस पर इस वायरस का काफी गहरा असर पड़ा है. बुधवार को ये ऐलान किया गया कि विंबलडन टेनिस चैंपियनशिप को लोगों के सेहत को ध्यान में रखते हुए रद्द किया जाता है. इस टूर्नामेंट का 134वां सीजन 28 जून से 11 जुलाई 2021 तक खेला जाएगा. इससे पहले फ्रेंच ओपन टूर्नामेंट की भी तारीखों को आगे बढ़ाते हुए 20 सितंबर से 4 अक्टूबर 2020 कर दिया गया है.

जाहिर सी बात है कि दुनियाभर के टेनिस खिलाड़ी विंबलडन चैंपियनशिप रद्द होने की वजह से दुखी होंगे, लेकिन इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी की वजह से एक अजीब-ओ-गरीब हालात का सामना कर रहा हैं. हांलाकि विंबलडन से जुड़े लोगों के लिए टूर्नामेंट रद्द होना एक सही फैसला है क्योंकि ये मामला हर किसी की सेहत से जुड़ा हुआ है.

भारत के टेनिस खिलाड़ी महेश भूपित ने  WION के स्पोर्ट्स एडिटर, दिग्विजय सिंह देव के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की और विंबलडन के रद्द होने से लेकर बंद दरवाजे में टेनिस के खेल को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी. इसके अलावा भूपति ने  रोजर फेडरर का भविष्य, कोविड-19 के बाद का टेनिस जगत और लॉकडाउन के दौरान वो कैसे अपना वक्त बिता रहे हैं समेत हर मसले पर अपने विचार व्यक्त किए. पेश है खास बातचीत.

दिग्विजय सिंह देव: हमारे साथ मौजूद हैं भारतीय खेल जगत के जगमगाते सितारे और 3 बार के विंबलडन चैंपियन महेश भूपति, सबसे पहले महेश क्या आप विंबलडन के रद्द होने से दुखी हैं, या फिर ये तो होना ही था ?

महेश भूपति: एक टेनिस फैन के तौर पर, मेरा दिल टूट गया है. विबलडन हमेशा हमारे खेल का केंद्र बिंदु रहा है, जब से मैंने संन्यास लिया है, तब से मैं गर्मी के मौसम में अपना वक्त लंदन के ऑल इंग्लैंड क्लब में बिताता हूं. हांलाकि मैं इस खबर से दुखी हूं लेकिन ये तय लग रहा था क्योंकि कोविड-19 की गंभीरता कहीं ज्यादा है, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले महीनों में हालात बेहतर होंगे और खेल फिर अपनी जगह लौटेगा.

DSD: क्या ऐसा करना जल्दबाजी थी, क्योंकि हमलोग अप्रैल के पहले हफ्ते में हैं और विम्बलडन जून के आखिरी महीने में खेला जाना था, यानि करीब 3 महीने बाद, जैसा कि बोरिस बेकर कह रहे थे कि कुछ वक्त और इंतजार कीजिए.

MB: नहीं मुझे ऐसा नहीं लगता, विंबलडन जितना बड़ा टूर्नामेंट है, उस हिसाब से काफी ज्यादा मुनाफा होता है, ऐसे में इस चैंपियनशिप की तैयारी में काफी वक्त लगता है. किसी फैसले पर पहुंचने से पहले कई शेयरहोल्डर्स के बीच बातचीत होती है. मैं जानता हूम कि कि जिस तरह से वायरस फैल रहा है ऐसे में हालात और मुश्किल भरे होने वाले हैं, ऐसे में मुझे लगता है कि ये सही फैसला है. कई मसलों पर ध्यान देना पड़ता है जैसे कि बॉल बॉय को कैसे ट्रेन करना है. विंबलडन में योजना के तहत काम होता है, ऐस में इस साल हम टूर्नामेंट के साथ इंसाफ नहीं कर पाते.

DSD: एक और विकल्प हो सकता था कि ये टूर्नामेंट बंद दरवाजे में आयोजित किया जा सकता था, हांलाकि हमें ये पसंद नहीं, लेकिन दुनियाभर के खेल आयोजक इस सच्चाई का सामना कर रहे हैं. यहां तक की इंग्लैंड के वर्ल्ड कप विजेता कप्तान, ईयोन मोर्गन ने भी बुधवार को खेल प्रशासकों के सामने ये विकल्प पेश किया था. आपको क्या लगता है कि ये विचार रही है?

MB: मुझे नहीं लगता कि बिना दर्शकों के मैच खेलना खिलाड़ियों के साथ इंसाफ है, अपने तजुर्बे के हिसाब से मैं कह सकता हूं कि खचाखच भरे स्टेडियम में खेल का बेहतर माहौल बनता है. दूसरी बात ये सही नहीं है कि आप दर्शकों के सुरक्षा के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन खिलाड़ी और खेल आयोजन से जुड़े लोगों के बारे में ख्याल नहीं कर रहे हैं. जब बंद दरवाजे में मैच होगा तब भी खिलाड़ी अंपायर, बॉल बॉय और कुछ स्टाफ मैदान में मौजूद रहेंगे और ऐसे में उनकी जिंदगियों को दांव पर लगाना सही नहीं होगा वो भी महज कुछ मुनाफा कमाने के लिए.

DSD: कई प्रतिक्रियाएं आई हैं दुनियाभर से और इस टूर्नामेंट के रद्द होने से हर तरफ निराशा है. विंबलडन खिलाड़ियों के लिए इतना खास क्यों है.

MB: विंबलडन टेनिस का मक्का है. साल में एक बार ऐसा होता है कि सबका ध्यान इस टूर्नामेंट की तरफ चला जाता है. हर ग्रैंड स्लैम विनर और खेल जगत के सूरमा इस टूर्नामेंट के दौरान मौजूद रहते हैं. ये एक उत्सव की तरह होता है, जिसकी कमी इस साल महसूस होगी, लेकिन खिलाड़ियों और उनके परिवार की सेहत का ख्याल सबसे पहले जरूरी है.

DSD: ऐसे हालात पर किसी का वश नहीं चलता. विंबलडन रद्द होने पर पर 2 सबसे अहम प्रतिक्रिया रोजर फेडरर और सेरेना विलियम्स की तरफ से आई हैं, दोनों ही इस साल खिताब के दावेदार थे.

MB: वायरस का असर काफी गहरा होने वाला है अगर हम खेल के इतिहास को दोबारा लिखने की बात करें तो. इस साल का विंबलडन रोजर फेडरर के लिए एक बेहतरीन मौका था कि वो अपने प्रतिद्वंदी राफेल नडाल और जोकोविच से ग्रैंड स्लैम जीतने के मामले में थोड़े और आगे चले जाएं. वहीं सेरेना के लिए मौका था कि वो मार्गरेट कोर्ट के 24 ग्रैंड स्लैम सिंगल्स खिताब जीतने के रिकॉर्ड की बराबरी कर पातीं.  मुझे लगता है कि दोनों ही साल 2021 में वापसी कर पाते, लेकिन 10 साल बाद अगर हम देखेंगे तो ये खेल के इतिहास में अहम अध्याय होगा.

DSD: मौजूदा लॉकडाउन फेडरर के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि वो अपनी सर्जरी के बाद आराम कर सकेंगे और उनकी रैंकिंग प्वाइंट में भी फर्क नहीं पड़ेगा, ओलंपिक भी अगले साल के लिए टल गया है. आपको लगता है कि 2021 फेडरर के लिए एक विदाई भरा साल होगा.

MB: मैंने पिछले कुछ सालों में महसूस किया है कि आप रोजर फेडरर को नजरअंदाज नहीं कर सकते, कई लोग कर रहे थे विंबलडन उनका आखिरी ग्रैंड स्लैम होगा, लेकिन असलियत ये नहीं है. उनके पास ताकत है कि वो साल में 10 से 12 टूर्नामेंट खेल सकें वो भी अपने बेहतरीन प्रदर्शन के साथ. मुझे ताज्जुब नहीं होगा कि फेडरर 2 से 3 साल और खेलें. लेकिन हर टेनिस खिलाड़ी फिलहाल बेचैन है क्योंकि उन्हें अंदाजा नहीं था कि वो टेनिस खेल पाएंगे, ये एक निराशा से भरा हालात है.

DSD: कुछ लोग ये महसूस कर रहे हैं कि पूरा टेनिस सीजन पर खतरा मंडरा रहा है, आपको इस खेल के लिए जबरदस्त फिटनेस की जरूरत होती है. घरों के बंद कमरे और जिम आपकी जरूरत को पूरा नहीं कर पाते.

MB: जब आप खुद को ट्रेन नहीं कर पाते और आपका कार्डियो कंडीशनिंग रातों रात पुराने स्तर पर नहीं लौट सकता. मैं यकीन से नहीं कह सकता कि पूरा सीजन बर्बाद होगा, लेकिन वायरस का असर ये होगा कि टूर्नामेंट जल्दी-जल्दी आयोजित होंगे. ATP और  WTA ज्यादा से ज्यादा इवेंट आयोजिक करना चाहेंगे.

DSD: खिलाड़ियों की रोजी रोटी पर भी सवाल उठ रहे हैं. टॉप 50 खिलाड़ी के पास इतनी कुव्वत है कि वो टूर रद्द होने पर खुद को संभाल सकें, लेकिन निचली रैंकिंग के खिलाड़ियों के लिए गंभीर समस्या है.

MB: कुछ खिलाड़ियों को काफी पैसा मिलता है, लेकिन 50 रैंकिग से नीचे के खिलाड़ियों की कोई आय नहीं होगी, उनके कोच को भी कोई फीस नहीं मिल पाएगी. इस खेल की पूरी संरचना में ठहराव आ गया है. मुझे लगता है ATP और  WTA को निकट भविष्य में इन मसलों को सुलझाना होगा.

DSD: जब आप पूरी दुनिया के हालात को देखें, तो यहां कई खिलाड़ी चैलेंजर टूर, ITF सर्किट और कई लोग 3000 डॉलर के चेक के लिए खेलते हैं. उनपर भी इसका असर पड़ेगा और कोई सरकारी योजना नहीं है इन मसलों को सुलझाने के लिए. भारतीय खिलाड़ी इन मुश्किल हालातों का सामना कैसे करेंगे.

MB: ये मुश्किल वक्त सिर्फ टॉप 200 में आने वाले खिलाड़ियों के लिए ही नहीं है, बल्कि उन खिलाड़ियों के लिए भी है जो 50वीं रैंकिंग से नीचे हैं, उनके पास आय का जरिया नहीं है. भारत के खिलाड़ी सुमित नागल फिलहाल जर्मनी में हैं और मुझे लगता है कि वो हर हफ्ते जद्दोजहद कर रहे होंगे क्योंकि उनकी कोई कमाई फिलहाल नहीं हो रही है. मुझे नहीं पता कि इस परेशानी का हल क्या है. कुछ आर्थिक मदद मिल सकती है और कुछ पेंशन योजना होंगी जिससे खिलाड़ियों को कुछ रकम हासिल होगी जो बेहद जरूरी है.

DSD: क्या आपको लगता है कि ITF, ATP टूर और WTA टूर खिलाड़ियों के लिए कुछ राहत पैकेज का ऐलान करेगी ? और हां टूर्नांमेंट्स पर भी असर पड़ेगा, लेकिन ज्यादातर ने बीमा करवा रखा है.

MB: हां ये खिलाड़ियों के लिए मुश्किल हालात हैं, मसलन अगर आप किसी कंपनी के लिए काम करते हैं या फिर पेशेवर तरीके से किसी टीम के लिए खेलते हैं, तो ज्यादातर संगठन अपने कर्मचारियों का मुश्किल हालात में साथ देता है और उनके रोजगार की गारंटी लेता, तब भी जब सैलरी में कटौती हो. लेकिन अगर टेनिस की बात करें तो आप किसी के कर्मचारी नहीं होते. अगर टूर जल्दी शुरू नहीं होंगे तो कुछ महीनों में खिलाड़ियों में भारी निराशा होगी.

DSD: फ्रेंच ओपन को सिंतबर तक के लिए खिसका दिया गया है, उस वक्त फेडरर का लेवर कप आयोजित किया जाता है. ऐसे में तारीखों का टकराव का समाधान क्या होगा और कोई खिलाड़ी ग्रैंड स्लैम को नहीं छोड़ता.

MB: मुझे लगता है कि जैसे ही सीजन की शुरुआत होगी, हर किसी को समझौता करना होगा. मुझे नहीं लगता कि कि कोई टॉप खिलाड़ी फ्रेंच ओपन को छोड़ेगा, ये एक ऐसा ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट है जो नडाल के नाम रहता है. हो सकता है कि फेडरर अगल रास्ता चुनें क्योंकि वो खुद लेवर कप से जुड़े हुए हैं, लेकिन उसके अलावा और कोई बदलाव नहीं दिखेगा

DSD: निजी तौर पर लॉकडाउन के वक्त आपकी दिनचर्या क्या होती है, जैसा कि मैं आपका सोशल मीडिया प्रोफाइल देखता हूं कि आप फिसनेस को वापस हासिल करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं

MB: मैं कम से कम दिन में एक बार एक्सरसाइज करता हूं, घर पर मेरी 8 साल की बेटी है, तो हम उसे पूरे दिन खुश रखते हैं, जो एक आसान काम नहीं है. वो फिर से स्कूल जाना चाहती है. खुशकिस्मती से सोमवार से उसका ऑनलाइन क्लास शुरु हो गया है. लेकिन बाकी वक्त में वो अपने दोस्तों से बात करती है और उनका हालचाल पूछती है.

DSD: एक बार आपके पास एक ई-मेल आईजी था जिसका नाम था महेश नंबर 1, क्या इसका गोविंदा की फिल्मों से लेना देना है या फिर ये आपेक डब्लस मुकाबले की रैंकिंग को लेकर था. आप इस वक्त कई फिल्में देखना चाहेंगे जो ऑनलाइन मौजूद हैं.

MB: हां, मैं ज्यादातर रिपीट टेलिकास्ट देखता हूं, लेकिन खुशकिस्मती से कई सीरीज का नया सीजन आ रहा है, जिसको मैं देखूंगा. हाल में ही मैंने अपनी बेटी के साथ ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ और ‘तानाजी’ देखी थी. वो क्लासिक मूवी देखना पसंद करते है और मुझे उसका साथ देना अच्छा लगता है.

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