राम मंदिर : प्रधानमंत्री के भूमि पूजन में शामिल होने पर ओवैसी को आपत्ति, VHP ने दिया करारा जवाब
नई दिल्ली. AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के राम मंदिर (Ram Mandir) के भूमि पूजन (Bhumi Pujan) में जाने पर सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने इसे संविधान के शपथ का उल्लंघन बताया है. ओवैसी ने कहा कि बेहतर होगा कि पीएम शिलान्यास कार्यक्रम में शिरकत
ना करें. भूमि पूजन के कार्यक्रम में पीएम के शिरकत करने से देश की जनता में यह संदेश जाएगा कि वो एक फेथ को मानते हैं.
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रधानमंत्री का भूमि पूजन में शामिल होना उनके संवैधानिक पद की शपथ का उल्लंघन हो सकता है. धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है.’
ओवैसी ने आगे कहा कि अगर वो कहते हैं कि मैं व्यक्तिगत तौर पर अयोध्या जा रहा हूं तो कोई बात नहीं. अगर प्रधानमंत्री जाना चाहते हैं तो कह दें कि मैं व्यक्तिगत तौर पर जा रहा हूं. हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘हम यह नहीं भूल सकते कि 400 वर्षों से ज्यादा वक्त से बाबरी मस्जिद अयोध्या में थी और 1992 में क्रिमिनल भीड़ ने इसे ध्वस्त कर दिया था.’
ओवैसी के बयान पर विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि ओवैसी की आपत्ति सच नहीं है. 5 जजों की बेंच ने निर्णय किया कि यहां रामलला का जन्म हुआ ऐसी मान्यता सत्य है. ये भूमि रामलला की है ये भी सत्य है और इस निर्णय को सभी ने स्वीकार किया है. इस भूमि के एवज में दूसरी भूमि मुसलमान स्वीकार कर चुके हैं. ओवैसी को अगर न्यायालय में विश्वास है, संसद में विश्वास है और उसी संविधान जिसकी उन्होंने शपथ ली है, उसमें विश्वास है, तो 5 जजों के एकमत निर्णय के बाद किसी को राम मंदिर बनाने पर आपत्ति नहीं हो सकती.’
आलोक कुमार ने कहा, ‘प्रधानमंत्री अगर एक संवैधानिक काम के लिए जा रहे हैं, यह एक ऐसा काम जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि होना चाहिए, तो, उसमें असंवैधानिक क्या है. जो ढांचा गिरा था वो उस समय की भावनाओं का उद्वेग था या षड्यंत्र, इस विषय पर सुनवाई अभी हो रही है. निर्णय अभी नहीं आया है. पर, मैं इस बात को एक तथ्य के रूप में जानता हूं कि कोई षड्यंत्र था नहीं और विश्वास करता हूं कि हमारे नेता कोर्ट में अपनी निर्दोषता साबित कर पाएंगे.’