रूस की कोशिश नाकाम! युद्धविराम संधि के चंद मिनटों बाद फिर भिड़े अर्मेनिया-अजरबैजान


येरेवन/बाकू. अर्मेनिया और अजरबैजान ने एक दूसरे पर नागोर्नो-करबख में युद्धविराम संधि की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. दोनों तरफ से रूस द्वारा तैयार की गई युद्धविराम संधि की सार्थकता पर सवाल उठाए गए हैं. संघर्ष विराम के लिए दोनों देशों के बीच मास्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में चली मैराथन वार्ता में तय किया गया था कि युद्ध रोका जाए.

अजरबैजान द्वारा अर्मेनिया के बंदियों को रिहा किया जाए और दोनों पक्ष मृतकों के शव एक-दूसरे को सौंपें. मास्को वार्ता दोनों पक्षों के बीच पहला कूटनीतिक संपर्क था क्योंकि 27 सितंबर से शुरु हुई लड़ाई के बाद ऐसी स्थिति नहीं बनी नतीजतन सैकड़ों लोग मारे गए. एन्क्लेव पहाड़ी के जिस हिस्से को लोकर लड़ाई है वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अज़रबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है, लेकिन यहां जनसंख्या अर्मेनियाई लोगों की अधिक है और इन्ही के द्वारा शासित है.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू
युद्धविराम संधि के कुछ मिनटों के बाद ही दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर इसे तोड़ने के आरोप लगा दिए हैं. अर्मेनियाई रक्षा मंत्रालय ने अज़रबैजान पर अर्मेनिया के अंदर एक बस्ती पर हमला करने का आरोप लगाया है, जबकि करबख में अर्मेनियाई सुरक्षा बलों ने आरोप लगाया है कि संधि होने के दो मिनट बाद ही अजेरी बलों ने आक्रामक रुख अपना लिया. एक हमले में दो लोगों को मार डाला है.

दूसरी तरफ अजरबैजान ने कहा है कि अर्मेनिया की सेना अज़ेरी क्षेत्र में लगातार गोलाबारी कर रही है इस गोलीबारी में एक नागरिक की मौत हो गई है. कुल मिलाकर दोनों पक्ष लगातार एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. अब इस युद्ध के साथ ‘वाकयुद्ध’ भी शुरू हो गया है.

जारी रहेगी लड़ाई!
अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने रूसी समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा है कि एक राजनीतिक समझौता खोजने की कोशिश की जा रही है लेकिन हालात ऐसे हैं कि आगे भी लड़ाई होगी. उन्होंने कहा कि ‘बेशक हम बातचीत के अंत तक सब्र रखेंगे फिर तय करेंगे कि हमारे लिए क्या सही है?’

अज़रबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव ने कहा है कि मास्को में हुई वार्ता के दौरान मानवीय आधार पर युद्धविराम की घोषणा तात्कालिक तौर पर की गई है. यह व्यवस्था शवों के आदान-प्रदान तक कायम रहेगी. बाकू में उन्होंने शिकायत की कि ज़मीन पर हालात उनके देश के लिए अभी भी उपयुक्त नहीं हैं. हालांकि हमें उम्मीद थी कि हमारे नियंत्रण में अधिक क्षेत्र होगा. अर्मेनिया के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि वह सभी राजनयिक माध्यकों का इस्तेमाल कर रहा था ताकि युद्धविराम संधि का पालन हो सके, जबकि अज़रबैजान इस संधि की आड़ में दूसरे युद्ध की तैयार करने में जुट गया है.

`रूस पीछे नहीं हट सकता’
10 घंटे की वार्ता में मध्यस्थता करने वाले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बयान में कहा कि मानवीय आधार पर युद्ध विराम पर सहमति हो गई थी. रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति ने सैन्य कार्रवाई में मारे गए लोगों के शवों को सौंपने और बंदियों की एक साथ रिहाई की बात कही थी. अर्मेनिया और अजरबैजान ने भी इस बात पर सहमति व्यक्त की थी. वार्ता OSCE मिन्स्क समूह के तत्वावधान में आयोजित की गई. इस समूह की अध्यक्षता फ्रांस, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा की गई. वहीं अजरबैजान ने कहा है कि वह इस वार्ता के प्रारूप में बदलाव चाहता है, उसने तुर्की को भी इसमें शामिल करने की इच्छा जताई है.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!