लोया जिरगा में अफगानिस्तान करेगा 400 तालिबानी आतंकियों की रिहाई, जानिए इसके बारे में


काबुल. अफगानिस्तान की महासभा लोया जिरगा ने रविवार को 400 दुर्दांत तालिबान कैदियों की रिहाई को मंजूरी दे दी. यह फैसला ,19 वर्षों से चले आ रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से शांति वार्ता की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करता है.  प्रस्ताव में कहा गया कि , समस्या को दूर करने के लिए, शांति प्रक्रिया की शुरुआत और खून खराबे की समाप्ति के लिए लोया जिरगा ने 400 तालिबान की रिहाई को मंजूरी दी.

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने राजधानी काबुल में विधानसभा बुलाई थी, जहां करीब 3,200 अफगान समुदाय के नेताओं और राजनेताओं ने कड़ी सुरक्षा और सीओवीआईडी ​​-19 महामारी के बारे में चिंताओं के बीच सरकार को सलाह दी थी कि कैदियों को मुक्त किया जाए.

पश्चिमी राजनयिकों ने कहा कि इस सप्ताह दोहा में युद्धरत दलों के बीच बातचीत शुरू होगी. तालिबान कैदियों के अंतिम बैच की रिहाई के चारों ओर डेलीगेशन ने शांति प्रक्रिया की नैतिकता पर सवाल उठाने वाले नागरिकों और अधिकार समूहों के बीच नाराजगी पैदा कर दी थी. लेकिन नवंबर के चुनावों से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के वादे को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.

रक्षा सचिव मार्क एरिजोना ने शनिवार को एक साक्षात्कार में कहा कि ‘यह समझौता ,अमेरिकी सैनिकों की संख्या को 5000 से कम करेगा. फरवरी के एक समझौते में,अमेरिकी सैनिकों को वापस लेने की अनुमति दी गई, वाशिंगटन और तालिबान ने काबुल के साथ वार्ता के लिए एक शर्त के रूप में तालिबान कैदियों की रिहाई पर सहमति व्यक्त की.

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार से कड़ी सुरक्षा के बीच लोया जिरगा शुरू हुआ था. इसमें देश भर से आए राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक वर्गो के 3,200 प्रमुख लोगों ने हिस्सा लिया था . प्रमुख लोगों के इस जमावड़े ने तालिबान के उन 400 आतंकियों के रिहाई को मंजूरी दे दी. इन आतंकियों पर जघन्यतम वारदातों के आरोप हैं और उन पर जुर्म साबित हो गया है. तालिबान ने सरकार से वार्ता शुरू करने के लिए इन बंदियों की रिहाई की शर्त रखी थी.

पांच हजार तालिबान हो चुके हैं रिहा
अफगानिस्तान की सामाजिक व्यवस्था में बड़े मुद्दों पर फैसले के लिए या आम जनता की राय के लिए लोया जिरगा का आयोजन होता है. इसे आम लोगों की राय माना जाता है. अमेरिका ने इस आयोजन पर खुशी भी जाहिर की है. सरकार इनसे पहले लगभग  5000 तालिबानी को रिहा कर चुकी है.

इन तालिबान आतंकियों को गंभीर मामलों में पकड़ा गया था. इन सभी पर दोष साबित भी हो चुके हैं इसके बदले में तालिबान ने भी करीब 1,100 सरकारी बलों के लोगों, सरकारी कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के लोगों को कैद से मुक्त किया है. दोनों तरफ से ये रिहाई अमेरिका और तालिबान के बीच फरवरी में कतर की राजधानी दोहा में हुए समझौते के बाद हुई है. समझौते का उद्देश्य अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी और शांति बहाली है.

खूनखराबा बंद होने की गारंटी
लोया जिरगा में उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा था कि, ‘तालिबान की शर्त है कि इन 400 बंदियों की रिहाई हो जाती है, तो वह तीन दिन के भीतर संघर्ष विराम का एलान कर सरकार के साथ वार्ता शुरू कर देगा. लोया जिरगा में शामिल होने आए बहुत से लोगों का मानना है कि देश में शांति की स्थापना के लिए 400 बंदियों की रिहाई का फैसला शांति उद्देश्य से जरुरी था. लेकिन खूनखराबा बंद होने की भी गारंटी मिलनी चाहिए.

क्या है लोया जिरगा 
यह अफगानिस्तान की एक संस्था है जिसमें सभी पख़्तून, ताजिक, हज़ारा और उज़्बेक कबायली नेता एक साथ बैठते हैं इनमें शिया और सुन्नी दोनों शामिल होते हैं. यहां यह देश के विषयों पर विचार विमर्श कर फ़ैसले करते हैं या फिर किसी उद्देश्य के लिए एकजुट होने का फ़ैसला भी कर सकते हैं.लोया जिरगा पश्तो भाषा के शब्द हैं और जिसका मतलब होता है महापरिषद.  लम्बे अरसे पुरानी यह संस्था इस्लामी शूरा या सलाहकार परिषद जैसे सिद्धांत पर ही काम करती है. इतना ही नहीं , अब तक कबीलों के आपसी झगड़े सुलझाने, सामाजिक सुधारों पर विचार करने और नए संविधान को मंज़ूरी देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है.

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