वन अधिनियम के अभियुक्तगणों को छह-छह माह का कारावास

निवाड़ी/टीकमगढ़. मामले में शासन का पक्ष रख रहे सहायक जिला अभियोजन अधिकारी निवाडी पंकज द्विवेदी ने बताया कि वन मण्डल अधिकारी टीकमगढ़ के निर्देश पर उड़नदस्ता दल एवं पुलिस बल के साथ दिनांक 21.05.2008 को मुजफ्फर अली, असगर अली, बसीर खान, शेख बहाउद्दीन, प्रभूदयाल सभी निवासीगण वार्ड क्र.04 पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी के घर व मदरसा एवं इन्ही लोगों के बीड़ी कारखाने में जाकर पंचों के समक्ष जमा तलाशी देकर उनके मकानों के ताले तोड़े गये। वन स्टाफ, पुलिस बल द्वारा अंदर जाकर देखा गया तो भारी मात्रा में सागौन की लकड़ी तथा चिरान सहित अन्य लकड़ी फर्नीचर, चौखट, दरवाजे पाये गये जिनकी सूची तैयार की गयी। बीड़ी कारखाने में अवैध तेदूपत्ता एवं बीड़ी का संग्रह पाया गया जिसकी सूची तैयार की गई। अभियुक्तगण का कृत्य भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26(1), म.प्र. विनिर्दिष्ट वनोपज व्यापार (विनियमन) , अधिनियम 1969 की धारा 5,16 एवं म.प्र. तेंदू पत्ता व्यापार (विनियमन), अधिनियम 1964 की धारा 5(1), 11,12,15,16 के अंतर्गत दंडनीय होने से मौके पर जब्ती कर वन अपराध क्रमांक 151/04 पर पीओआर दर्ज की गई। विवेचना उपरांत अभियुक्तगण के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिसमें माननीय न्यायालय श्री विनय जैन, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी निवाड़ी द्वारा अपने निर्णय दिनांक 11.01.2021 में अभियुक्तगण शेख मुजफ्फर अली, शेख बहाउद्दीन, असगर अली, एवं वसीन खान प्रत्येक को भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26(1) छ के अंतर्गत तीन-तीन माह के कारावास एवं एक-एक हजार रूपये के अर्थदण्ड से, म.प्र. तेदूपत्ता (विनियमन) अधिनियम 1984 की धारा 15 के तहत प्रत्येक अभियुक्त को तीन-तीन माह के कारावास एवं पांच-पांच हजार रूपये के जुर्माने से तथा म.प्र. वनोपज व्यापार अधिनियम 1969 की धारा 16 के तहत प्रत्येक अभियुक्त को छह-छह माह के कारावास एवं पाँच-पाँच हजार रूपये के जुर्माने से दंडित किया गया है। प्रकरण में अभियोजन संचालन सहायक जिला अभियोजन अधिकारी पंकज द्विवेदी द्वारा किया गया।