विधिक सेवा के योजनाओं के क्रियान्वयन में पैरालीगल वाॅलिंटियर्स की भूमिका महत्वपूर्ण होती है : न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर एवं यूनिसेफ, छत्तीसगढ, रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में बच्चों की सुरक्षा विषय पर छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों में नियुक्त पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स हेतु दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ 23 नवम्बर 2019 को छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, पुराना उच्च न्यायालय भवन, बिलासपुर में प्रातः 10.00 बजे आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के कार्यपालक अध्यक्ष माननीय श्री न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने कहा कि विधिक सेवा के योजनाओं के क्रियान्वयन में पैरालीगल वाॅलिंटियर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नालसा की विभिन्न योजनाओं में बच्चों से संबंधित योजना नालसा (बच्चों के मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाएं और उनके संरक्षण) योजना 2015, नालसा (नशा पीड़ितों को विधिक सेवाएं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015 तथा नालसा (तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितों के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015 का जिक्र करते हुए उक्त योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स महत्वपूर्ण अंग हैं। विधिक सेवा की गतिविधिया बिना पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स के अच्छे से चलना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स लीगल एड मूवमेंट की रीढ़ होते हैं और बच्चों के अधिकार दिलाने मेे पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स की महति भूमिका है।

उन्होंने कहा कि गरीब और असहाय बच्चे जो समाज की मुख्य धारा से भटककर अनजाने में गरीबी के कारण कुछ अपराध कर बैठते हैं उन्हें किस कानून में क्या अधिकार दिये गये हैं उन्हें बताकर उनके अधिकार वापस दिलाने का कार्य पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स को करना है। इस तरह बाल सुरक्षा व बाल अधिकार के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में एक बेहतर कार्य करके उदाहरण प्रस्तुत करेगा। विधिक सेवा के कार्य हेतु पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स को पूरा ज्ञान दिलाये जाने के उद्देश्य से ही यह प्रशिक्षण कार्यक्रम यूनिसेफ के सहयोग से रखा गया है। आगे कहा कि आने वाले समय में भी यूनिसेफ, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उच्च न्यायालय की किषोर न्याय कमेटी द्वारा भी इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा, ताकि बच्चों के संबंध बने कानून एवं योजनाओं की जानकारी अधिक से अधिक हो सके। शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीष एवं उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी ने कहा कि पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स अपने सीखने की परम्परा को निरंतर चालू रखें। प्रशिक्षण के द्वारा प्राप्त किये हुए ज्ञान के माध्यम से वे पीड़ित बच्चों को और अधिक बेहतर ढंग से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स विधिक सेवा के माध्यम से समाज सेवा का बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं। पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स ही समाज के लोगों को उनके अधिकारों के सबारे में बताता है और उनके अधिकार दिलवाने में मदद करते हैं। विधिक सेवा संस्थान और आमजन के बीच पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स एक कोरियर समान होता है। पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स प्रशिक्षण में बताये गये चीजों को आत्मसात करें। पीड़ित व्यक्ति को सुरक्षा देने से मन की संतुश्टि मिलती है, अच्छे कर्म का परिणाम मिलता है, ऐसा ज्ञानी लोग कहकरगये हैं। आपका कार्य समाज सेवा का महत्वपूर्ण कार्य है। यह टेªनिंग आपके कार्य में गुणत्ता लाने के लिये दी जा रही है। उन्होंने बरमुंडा टेªंगल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां का जहाज जिस प्रकार से गायब हो जाता है आप लोग वैसे गायब मत हो जायेंगें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूनिसेफ छत्तीसगढ़ प्रमुख श्री जाॅब जकारिया ने कहा कि हमारे देश में बच्चों से संबंधित बहुत सारे कानून हैं, जैसे बच्चों की शिक्षा, बाल श्रम, पाक्सो एक्ट इत्यादि कानून हैं, किन्तु जानकारी के अभाव मंे वे पीड़ित होते रहते हैं। हमारे देश में 52 प्रतिशत बच्चों यौन संबंधित अपराधों के शिकार हैं। पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स प्रषिक्षण प्राप्त कर बच्चों के विरूद्ध होने वाले अपराध के संबंध में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करने का प्रयास करेंगे और उन्हें संबल बनायेंगे। बच्चें अपने विरूद्ध होने वाले अपराध को सहे नहीं उन्हें बताये, ताकि अपराध को रोका जा सके और यह कार्य हमारे प्रशिक्षित पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स भंलि-भांति कर सकते हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में शुभांरभ उदबोधन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के रजिस्ट्रार जनरल श्री नीलम चंद साखंला ने किया तथा कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री सिद्धार्थ अग्रवाल ने किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दो चरणों में प्रथम चरण 23 एवं 24 नवम्बर 2019 एवं द्वितीय चरण 25 एवं 26 नवम्बर को आयोजित होगा, जिसमें प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ राज्य के जगदलपुर, बालोद, बेमेतरा, बिलासपुर, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, कोण्डागांव, महासमुंद, रायपुर एवं मुंगेली जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से कुल 110 पैरालीगल वाॅलिटिंयर्स उपस्थित हुए हैं, जिनका प्रशिक्षण कार्यक्रम देा दिन तक चलेगा। तत्पष्चात् 25 एवं 26 नवम्बर को जिला सूरजपुर, कांकेर, रायगढ, दन्तेवाडा, सरगुजा, कोरबा, जशपुर, राजनांदगांव, बलौदाबाजार, कोरिया, धमतरी, बलरामपुर के कुल 110 पैरालीगल वाॅलिंटियर्स शामिल होकर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। उपरोक्त पैरालीगल वाॅलिंटियर्स को प्रशिक्षण देने हेतु यूनिसेफ से रिसोर्स पर्सन के रूप में श्री अनंत कुमार अस्थाना, एवं श्री आशीष कुमार नई दिल्ली से तथा श्री गोविंद बेनीवाल जयपुर से आये हैं। उपरोक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में विषेश रूप से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीषगण माननीय श्रीमती न्यायमूर्ति विमला सिंह कपूर, माननीय श्रीमती न्यायमूर्ति रजनी दुबे, रजिस्ट्रार (विजिलेंस) श्री दीपक तिवारी, रजिस्ट्री के न्यायिक अधिकारीगण, राज्य न्यायिक एकडेमी के डायरेक्टर श्री के.एल. चरियाणाी एवं अन्य अधिकारीगण, जिला न्याायाधीष/ अध्यक्ष ,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री एन.डी. तिगाला, जिला न्यायालय बिलासपुर के न्यायिक अधिकारीगण, यूनिसेफ से चेतना देसाई एवं प्रियंका सेठी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के सचिव श्री उमेश उपाध्याय, बिलासपुर के सचिव श्री बृजेश राय, दुर्ग के सचिव श्री राहुल शर्मा, महासमुंद के सचिव श्री मोह.जहांगीर तिगाला, स्टेट बार कौंसिंल के अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री निर्मल षुक्ला, अधिवक्तागण, पैनल अधिवक्ता, मीडिया बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।