विनय पाठक की ‘Chintu Ka Birthday’ देखने से पहले पढ़ लें Film Review


नई दिल्ली. इरान युद्ध के दौरान लगे लॉकडाउन में एक मिडिल क्लास परिवार अपने 6 साल के बेटे चिंटू का बर्थडे मनाने की तैयारी करता है. बाहर संकट है लेकिन परिवार पूरी तरह से साथ है. केक बनाने से लेकर चिंटू के बर्थडे का जश्न मनाने के लिए ये परिवार पूरी तरह से एकजुट है. क्या होगा क्या नहीं इस बात से बेफ्रिक चिंटू के परिवार वाले इस खुशी के मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं. इसी बीच बाहर गोली-बारी होने लगती है. फिल्म की कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है. इस संकट घड़ी में परिवार वालों की क्या प्रतिक्रिया होती है. वो खुद को कैसे बचाते हैं. यही सब कुछ इस फिल्म में देखने को मिलेगा.

लॉकडाउन के दौरान जहां भारी संकट है वहां जन्मदिन मनाना एक नया मानदंड बन गया है. बच्चे अपने बर्थडे को लेकर खासा उत्साहित रहते हैं लेकिन कई बार परिस्थिति ऐसी आ जाती है कि उनके बर्थडे में ना दोस्त आ पाते हैं ना ही परिवार के बाकी सदस्य. इस फिल्म मे चिंटू के बर्थडे में भी यही देखने को मिल रहा है. फिल्म 1 घंटे 23 मिनट की है. ऐसे में निर्माता ने फिल्म की कहानी कहने में बिल्कुल भी समय बर्बाद नहीं किया है. फिल्म में बेहद प्यार करने वाले अभिभावक विनय पाठक, तिल्लोतमा शोम आपको देखने को मिलेंगे जिनका अभिनय शानदार है.

वेदांत राज छिब्बर में 6 साल के चिंटू का रोल प्ले कर रहे हैं जोकि फिल्म का कथाकार है. चिंटू फिल्म मे बैक स्टोरी देता है कि सद्दाम हुसैन और जॉर्ज बुश की वजह से कैसे इरान में युद्ध की भारी तबाही हो रही है. चिंटू फिल्म में बुश पर आरोप लगाते हुए कहता है कि उनकी वजह से वो अपना बर्थडे नहीं मना पा रहा है. चिंटू के माता – पिता मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ चिंटू को आश्वस्त करते हैं कि वो उसकी इच्छाओं को इस संकट घड़ी में भी पूरा करने की कोशिश करेंगे. संकट घड़ी में कैसे पूरा परिवार साथ है बच्चे का छोटा सा सपना पूरा करने के पूरा परिवार लगा है. ये सब कुछ इस फिल्म में आपको देखने को मिलेगा.

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