व्रत के वैज्ञानिक चमत्कार जानकार आप भी रह जाएंगे हैरान, करने लग जाएंगे इसकी प्लानिंग


नई दिल्ली. नए साल के जश्न में पार्टी, दावत, खाना-पीना आपमें से बहुत लोगों ने ये सब जीभर कर किया होगा. अब आपको फास्ट मोड में आने की ज़रूरत है ताकि आप फिट रह सकें. फास्ट मोड मतलब व्रत वाले मोड में आने की जरूरत है. आज आपको व्रत के वैज्ञानिक चमत्कारों के बारे में जानना चाहिए.

New England journal of medicine में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 6 घंटे तक व्रत करने से इंसान डायबिटीज़, दिल की बीमारियों और कैंसर का इलाज कर सकता है. intermittent fasting यानी 6 घंटे तक कुछ ना खाने और 18 घंटे तक इसी क्रम से चलने से इंसान व्रत के सबसे ज्यादा फायदे हासिल कर सकता है. यहां तक कि उम्र को थामा जा सकता है. यानी 24 घंटे में तीन बार खा तो सकते हैं, लेकिन 6 घंटे के अंतराल के बाद. व्रत के नियम को फॉलो करने के फायदों की लिस्ट ऐसी है कि आप शायद व्रत करने का फैसला अभी ले लें, लेकिन इसके लिए आपको हमारा ये विश्लेषण पूरा पढ़ना चाहिए. – क्योंकि हर कोई व्रत करने के लिए सही व्यक्ति हो ये भी ज़रुरी नहीं है.

आमतौर पर फास्टिंग यानी व्रत को श्रद्दा और भक्ति से जोड़कर ही देखा जाता है. भारत में हर धर्म में 1 दिन के व्रत से लेकर 40 दिनों तक लगातार व्रत के अलग अलग नियम हैं. कुछ लोग वज़न घटाने के लिए भी व्रत रख लेते हैं. व्रत के आध्यात्मिक पहलुओं के हिसाब से बात करें तो भगवान की श्रद्दा और भक्ति के साथ साथ व्रत मन पर, इंद्रियों पर, इच्छाओं पर नियंत्रण रखने का माध्यम है. संयमित जीवन के लिए लोग व्रत रखते हैं. लेकिन व्रत केवल मन और आत्मा को ही शुद्ध नहीं करता,  व्रत मन के साथ तन की शुद्दता पर भी काम करता है.

सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि रिसर्च के नतीजे क्या कहते हैं. 6 घंटे तक व्रत करें और 18 घंटे तक इसी क्रम से चले तो शरीर ग्लूकोज़ एनर्जी से कीटोन एनर्जी पर स्विच हो जाता है. यानी आप दिन में तीन बार खा तो सकते हैं लेकिन सिर्फ तीन बार. रिसर्च के मुताबिक व्रत के सिस्टम को फॉलो किया जाए तो लंबे समय तक बुढ़ापे को रोका जा सकता है. तनाव झेलने की क्षमता कम होती है, बीमारियां कम जकड़ती हैं. दावा ये भी है कि कैंसर की रोकथाम भी संभव है.

वैसे क्या आप जानते हैं कि हमारे पूर्वज तीन वक्त खाने के सिस्टम को फॉलो नहीं करते थे. पहले हर वक्त और हर जगह फास्ट फूड, फूड वैन्स, रेस्टोरेंट या एप पर खाना आसानी से मिलता ही नहीं था. पहले आम तौर पर दिन में एक बार ही खाना मिलता था, वो भी प्राकृतिक स्त्रोतों से –हम पहले पेड़, पौधों या जानवरों के शिकार पर निर्भर थे. इसके अलावा चलना ही ट्रांसपोर्ट का इकलौता माध्यम था – जो खाने को पचाने के लिए आज भी सबसे अच्छी एक्सरसाइज़ मानी जाती है.

लेकिन विकास के साइड इफेक्ट्स ने हमें फास्ट फूड दिया. 24×7 वाला लाइफस्टाइल दिया, और 24×7 खाना भी दिया. नतीजा मोटापा और बीमारियों की शक्ल में हमारे सामने है. व्रत में यानी कुछ घंटों भूखे रहने के नियम में आखिर ऐसा क्या है कि ये दवा की तरह काम करता है.  इसके लिए आपको व्रत के पीछे की साइंस यानी विज्ञान को समझना होगा. शरीर को चलाए रखने के लिए एनर्जी चाहिए जो उसे खाने के बाद बनने वाले ग्लूकोज़ और फैटी एसिड्स से मिलती है.

खाना खाने के बाद ग्लूकोज एनर्जी यानी शरीर के ईंधन के तौर पर खपने लगता है. और फैटी एसिड्स टिश्यूज़ में ट्राईग्लिसराइड्स के तौर पर जमा हो जाते हैं. जब आप व्रत कर रहे होते हैं यानी काफी घंटों तक भूखे रहते हैं तो लिवर फैटी एसिड्स को कीटोन में बदल देता है. कीटोन्स के ज्यादा बनने से सेल सक्रिय होते हैं, डैमेज यानी बीमार सेल्स रिपेयर होते हैं. आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि शरीर में मरम्मत की प्रक्रिया अपने आप तेज़ हो जाती है.  – इसके अलावा ग्लूकोज़ पर कंट्रोल बेहतर हो सकता है. ये माना जाता है कि व्रत के ज़रिए सेल्स को एक्टिव रखकर कैंसर जैसी बीमारियों को रोका जा सकता है.

खासतौर पर दिमाग के लिए कीटोन्स एनर्जी का अच्छा स्त्रोत माने जाते हैं. जब पेट भरा  हुआ हो तो शरीर में कीटोन्स की मात्रा काफी कम होती है. 8 से 12 घंटे के व्रत के बाद कीटोन्स तेज़ी से बनने लगते हैं. 24 घंटे में 2 से 5 एम एम (मिलीमोलर) तक कीटोन्स बन जाते हैं. वैज्ञानिकों ने इन नतीजों तक पहुंचने से पहले चूहों पर की गई रिसर्च के परिणाम देखें. ये देखा गया है कि चूहे एक साथ काफी खाना खा लेते हैं और उसके बाद 20 घंटे कुछ नहीं खाते – इस दौरान उनके शरीर में कीटोजेनेसिस की प्रक्रिया शुरू होती है.

1934 से 2012 तक की गई अलग अलग स्टडी के डाटा का एनालिसिस भी किया गया जिससे ये पता चला कि चूहों में नियम से खाना देने से उनका जीवनकाल 14 से 45 प्रतिशत तक बढ़ गया. एक दूसरी स्टडी में 100 ओवरवेट महिलाओं के दो ग्रुप बनाए गए. एक ग्रुप ने हफ्ते में 2 दिन व्रत किया जबकि दूसरे ग्रुप ने रोज़ाना की कैलोरी में 25 प्रतिशत की कटौती की. यानी व्रत नहीं किया लेकिन खाने में कटौती कर ली. 6 महीने तक इस नियम को फॉलो किया गया. व्रत वाले ग्रुप का वज़न भी ज्यादा घटा और इंसुलिन का स्तर भी बेहतर हुआ. तो क्या आप भी व्रत कर सकते हैं. व्रत खोलने के वक्त आप क्या खा सकते हैं. क्या इस फॉर्मूले से आपको भी वही फायदे मिलेंगे जैसा कि रिसर्च दावा कर रही है.

डायटीशियन कंचन सोंधी के मुताबिक व्रत यानी संयमित और नियम वाली डायट के फायदे किसको कितने मिलेंगे ये इस बात से तय होता है कि आपकी उम्र कितनी है. आप महिला हैं या पुरुष और आपका जेनेटिक नेचर कैसा है. यानी आपको विरासत में कैसा शरीर मिला है. और इस बात से भी कि व्रत के बाद आपने क्या खाया कहीं आप खाने पर टूट तो नहीं पड़े.

Intermittent fasting यानी व्रत के तीन तरह के तरीके बेहद प्रचलित हैं. एक दिन के अंतराल पर व्रत, हफ्ते में दो दिन व्रत या रोजाना समय के हिसाब से खाना. यानी टाइम रिस्ट्रिक्टिड डायट. ये रिसर्च 6 घंटे के अंतराल वाले सिस्टम पर की गई है. जानवरों पर की गई ये स्टडी ये साबित करती हैं कि व्रत करने से उम्र थामी जा सकती है, वज़न घटाया जा सकता है. ये दो सबसे बड़े फायदे हैं. हालांकि इंसानों पर इसका असर कैसा होगा. ये उम्र और आपकी हेल्थ के अलावा इस बात पर निर्भर करेगा कि आप व्रत करने के बाद क्या खा रहे हैं.

बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिन्हें उनकी बेहतर सेहत के लिए व्रत ना करने की सलाह दी जाती है. एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ सुरेंद्र कुमार के मुताबिक जो लोग 65 वर्ष से ज़्यादा हों या उनका वज़न बेहद कम हो…18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को भी व्रत नहीं करने की सलाह दी जाती है. नवजात शिशु की मां बनी हों या ब्रेस्टफीडिंग कर रही हो.डायबिटीज के मरीज़ों के लिए भी व्रत मना होता है. हालांकि ऐसे लोग अपने डॉक्टर की सलाह से मिली डायट को फॉलो कर सकते हैं.

वैज्ञानिक मानते हैं कि व्रत रखने से ग्लूकोज़ पर कंट्रोल बेहतर होता है, ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट नियंत्रित होते हैं. लेकिन ज़रुरत से ज्यादा व्रत भी बाल झड़ना, तनाव, नींद ना आने जैसे नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए हर धर्म में व्रत ऋतुओं के हिसाब से ही आते हैं.

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