व्लादिमीर पुतिन 2036 तक रह सकते हैं रूस के राष्ट्रपति, 77.8% ने किया संविधान संशोधन का समर्थन


मास्को. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) 2036 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं. ऐसा इसलिए कि रूस (Russia) की जनता ने संविधान संशोधन के लिए कराए गए जनमत संग्रह में पुतिन की दावेदारी का समर्थन किया है. कोरोना संकट और विरोध के बीच सात दिनों तक चला यह जनमत संग्रह बुधवार को समाप्त हुआ.

रूसी स्टेट एजेंसियों ने चुनाव आयोग के हवाले से बताया है कि अब तक 85% वोटों की गिनती हो चुकी है और करीब 77.8 प्रतिशत मतदाताओं ने संविधान संशोधन का समर्थन किया है. वहीं, विपक्ष ने मतदान में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. गौरतलब है कि राष्ट्रपति पुतिन का मौजूदा छह वर्ष का कार्यकाल 2024 में खत्म हो रहा है. दरअसल, रूस के संविधान में राष्ट्रपति पद के लिए दो कार्यकाल की सीमा तय है, इसलिए 2024 के बाद पुतिन को सत्ता से बाहर होना पड़ता. इसी के मद्देनजर संविधान संशोधन की कवायद चल रही है.

संविधान संशोधनों को रूस की संसद द्वारा कुछ सप्ताह पहले पारित किया गया था और नए संविधान की प्रतियां दुकानों पर बिक्री के लिए उपलब्ध करा दी गई थीं, लेकिन पुतिन का तर्क था कि वह इसके लिए जनता की सहमति चाहते हैं. जिसके बाद जनमत संग्रह किया गया.   इन संशोधनों में रूढ़िवादी और लोकलुभावन उपाय शामिल हैं, जैसे कि न्यूनतम पेंशन की गारंटी और समलैंगिक विवाह पर प्रभावी प्रतिबंध. इसके अलावा, पुतिन को मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठाने का प्रावधान भी किया है. जिसके तहत वह 2024 के बाद फिर से राष्ट्रपति नियुक्त हो सकते हैं.

क्रेमलिन ने मतदाताओं को लुभाने के लिए सभी उपाए किये. लगभग एक सप्ताह तक चले मतदान के आखिरी दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया. साथ ही वोटरों के लिए अपार्टमेंट, कार और नकदी जैसे उपहार भी रखे गए. शुरुआत में जनमत संग्रह के लिए 22 अप्रैल की तिथि निर्धारित की गई थी, लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए इसे टालना पड़ा.

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