शासन की शराब नीति खतरे में : शराबबंदी को लेकर घिर गई सरकार


बिलासपुर. शासन की शराब नीति का चारों ओर विरोध शुरू हो गया है। कई संगठनों ने तो उग्र आंदोलन की चेतावनी तक दे डाली है। ऐसे में शराबबंदी को लेकर सरकार घिर गई है। 15 साल तक सत्ता में रहे भाजपा नेता भी अब खुलकर कहने लगे हैं कि हम शराब बंदी के पक्षधर थे, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने तो गंगा जल लेकर वादा किया था कि प्रदेश में शराब बंदी कर दी जाएगी, यहीं अच्छा मौका था लेकिन सरकार ज्यादा राजस्व कमारे के चक्कर में आम जनता को खतरे में डाल रही है। इधर कांग्रेसी नेताओं ने भी केन्द्र के नियमों का हवाला देते हुए शराब की बिक्री पर अपनी सफाई पेश की है। प्रदेश में चारों ओर शराब दुकान खोले जाने का स्वर इन दिनों बुलंद हो चला है। भारी विरोध और कोरोनो वायरस संक्रमण को देखते हुए सरकार भी असमंजस की स्थिति में है। लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में 41 दिनों तक संपूर्ण रूप से लॉकडाउन किया गया था। बंद के दौरान देश के शराब दुकानों का संचालन नहीं हो पाया। जिससे शासन को करोड़ों की राजस्व की हानि हुई। कोरोनो वायरस के नियंत्रण को देखते हुए सरकार ने शराब दुकानें खोलने का निर्णय लिया तो प्रदेश में भारी मात्रा में बिक्री हुई। लगातार तीन दिनों तक शराब दुकानों में भगदड़ की स्थिति निर्मित होते रही। शराब दुकानों में उमड़ रही भीड़ से वायरस फैलने का अंदेशा बना हुआ है ।जिसके लिए लोग अब सरकार की शराब नीति का खुलकर विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस के अधिकांश नेता भी अब शराबनीति का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष में बैठे भाजपा के लोग भी अब आंदोलन की चेतावनी देने लगे हैं। कई स्थानों में ज्ञापन तक सौंपा जा चुका है। पूर्व आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने शासन की शराब नीति का विरोध करते हुए उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, जनता कांग्रेस नेता अजीत जोगी,धर्मजीत सिंह ने भी शराब बंदी की मांग की है। इधर कांग्रेस भवन में कांग्रेसियों ने प्रेस वार्ता आयोजित कर केन्द्र के नियमों का हवाला दिया है। मोदी सरकार को जमकर कोसते हुए कांग्रेसियों ने कहा कि अगर केन्द्र सरकार शराब बंदी पर अपना फैसला सुनाएगी तो इधर छत्तीसगढ़ में तत्काल प्रभाव से शराब बंदी कर दिया जाएगा। भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कांग्रेस नेता अटल श्रीवास्तव, विजय केशरवानी और प्रदेश प्रवक्ता अभयनारायण राय ने कहा कि 15 सालों में भाजपा सरकार शराब बंदी नहीं कर पाई तो डेढ़ वर्ष के कांग्रेस शासन काल पर ऊंगली उठाया जाना अनुचित है। बहरहाल प्रदेश में शराब बंदी को लेकर चारों ओर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। एक ओर जहां धार्मिक स्थानों पर प्रतिबंध लगाया गया है तो वहीं दूसरी ओर मौत के द्वार शराब दुकानों को खोलकर सरकार कोरोनो जैसे महामारी बीमारी को आंमत्रित कर रही है।

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