शासन के गाइडलाइन के अनुसार होगी अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन एवं आबंटन की कार्यवाही

बलरामपुर/धीरेन्द्र कुमार द्विवेदी. नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन तथा शासकीय भूमि के आबंटन की कार्यवाही शासन द्वारा निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार की जा रही है। पट्टे पर आबंटित शासकीय भू-खण्ड को भूमि स्वामी हक में परिवर्तित करने तथा शासकीय भूमि के भूमि स्वामी हक में व्यवस्थापन करने हेतु शासन द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये थे। नगरीय क्षेत्र में 7500 वर्ग फीट तक की शासकीय भूमि को पट्टे पर आबंटन तथा अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन के संबंध में कलेक्टर को अधिकार प्राप्त हैं। 7500 वर्ग फीट से अधिक भूमि के आबंटन तथा व्यवस्थापन का अधिकारी राज्य शासन को होगा। अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन के समय प्रब्याजी का निर्धारण प्रचलित गाइडलाईन की 150 प्रतिशत के बराबर की जाएगी तथा यदि भूमि स्वामी व्यवस्थापन के समय राज्य शासन से भूमि स्वामी हक में भूमि प्राप्त करना चाहता है तो बाजार मूल्य के अतिरिक्त 2 प्रतिशत की समतुल्य राशि देनी होगी। इस प्रकार बाजार मूल्य पर 152 प्रतिशत राशि देय होगी। नगरीय निकायों में व्यवसायिक प्रयोजन के लिए भू-खण्ड के आबंटन हेतु प्रब्याजी का निर्धारण गाइडलाईन के 25 प्रतिशत के बराबर की जाएगी। इसी प्रकार गैर रियायती दर पर शासकीय पट्टे पर आबंटित भूमि को यदि पट्टेदार भूमि स्वामी हक में परिवर्तित करना चाहे तो प्रचलित गाइडलाईन दर से 2 प्रतिशत अधिक राशि लेकर भूमि स्वामी हक में परिवर्तित करने का अधिकार जिला कलेक्टर को होगा। इस प्रकार उस व्यक्ति को प्रचलित गाइडलाईन दर पर बाजार मूल्य का 102 प्रतिशत राशि देना होगा। भूमि स्वामी अधिकार प्राप्त होते ही राज्य शासन से भूमि प्राप्त करने वाले पट्टेदार के संदर्भ में भू-राजस्व संहिता/राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधान लागू नहीं होंगे। ऐसे भूमि के संदर्भ में उन्हें ऐसा भूमि स्वामी अधिकार होगा जो परिवर्तित भूमि के भूमि स्वामी को परिवर्तित भूमि के संबंध में प्राप्त होते हैं। राज्य शासन द्वारा उपरोक्त लिये गये निर्णयों से नागरिकों को भूमि स्वामी का हक मिलेगा।

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