शासन के साथ धोखाधड़ी करने वाले पर अपराध दर्ज, निविदा दिलाने किया था षडयंत्र


रायपुर.  छ.ग. पाठ्य पुस्तक निगम के अधिकारी श्री अशोक चतुर्वेदी एवं निविदा समिति के सदस्यो द्वारा लोक सेवक के पद पर पदस्थ होते हुये, अपने-अपने लोक कत्र्तव्यो को अनुचित एवं बेईमानी से जानबूझकर, कूटरचना कर, फर्जी तरीके से होप इन्टरप्राईजेस रायपुर के संचालक श्री हितेश चैबे, को आपस में अपराधिक षडयंत्र कर निविदा दी गई, जांच से फर्जी निविदा प्रस्तुत कर अपराधिक कृत्य किया जाना पाया गया है जिसमें 03 बनावटी निविदा प्रस्तुत कर निविदा पालन करने का दिखावा किया गया है। संपूर्ण निविदा प्रक्रिया, दूर्षित है, जिसके लिये श्री अशोक चतुर्वेदी महाप्रबंधक, छ.ग.पाठ्य पुस्तक निगम, एवं छ.ग. पाठ्य पुस्तक निगम के निविदा समिति के सदस्यगण एवं होप इन्टरप्राईजेस रायपुर के संचालक, श्री हितेश चैबे एवं होप इन्टरप्राईजेस का कर्मचारी बृजेन्द्र तिवारी एवं अन्य की भूमिका है। निविदा प्रक्रिया आमंत्रित करने का शासन का मुख्य उदे्श्य क्रय के लिये प्रतिस्पर्धा को बढाया जाए जिसके कारण शासन को क्रय के लिये उचित दर प्राप्त हो। किन्तु इस निविदा प्रक्र्रिया में केवल मेसर्स होप इन्टरप्राईजेस को लाभांवित करने के उदे्श्य से अन्य प्रतिस्पर्धियो के नाम से निविदा परीक्षण समिति के सदस्यो द्वारा लोकसेवक के रूप में पदस्थ होते हुये अपने लोक कत्र्तव्यो को अनुचित एवं बेईमानी से करते हुए मेसर्स होप इन्टरप्राईजेस के साथ आपस में मिलकर अपराधिक षडयंत्र कर फर्म/कंपनियों के दस्तावेज के आधार पर निविदा प्रक्रिया, में भाग लेना दिखाया गया तथा चूंकि, अन्य फर्म (01) मेसर्स न्यू क्रियेटिव फाईबर ग्लास रायपुर (02) मेसर्स एस.आर.इन्टरप्राईजेस जगदलपुर (03) मेसर्स मिनी सिग्नाजेस रायपुर, द्वारा अपने कथन में बताया गया है कि, उनके द्वारा निविदा प्रक्रिया क्रमांक-2578 दिनांक-02.11.2017 में भाग नहीं लिया गया है और न ही कोई दस्तावेज जमा किये गये है। चूंकि, होप इन्टरप्राईजेस के अतिरिक्त अन्य फर्म द्वारा निविदा प्रक्रिया में भाग नही लिया गया है। इसलिये मेसर्स होप इन्टरप्राईजेस रायपुर द्वारा दिए गये वित्तीय निविदा फार्म-बी में भरे गए निविदा प्रकिया उॅची दर पर मेसर्स होप इन्टरप्राईजेस को आबंटित की गई। इस प्रकार यह सम्पूर्ण निविदा प्रक्रिया दूषित है तथा इन निविदा आबंटन का मुख्य उद्देश्य केवल मेसर्स होप इन्टरप्राईजेस रायपुर को अवैध रूप से आर्थिक लाभ पहुंचाया तथा लोकसेवको द्वारा अपने को न्यायाशित संपत्ति को षडयंत्रपूर्वक कुटरचित दस्तावेज को छल के प्रयोजन से असली के रूप में प्रयोग करके स्वयं व अन्य को आर्थिक लाभ पहुचाया गया है एवं शासन के साथ धोखाधडी कर आर्थिक हानि कारित किये जाने का अपराध करना पाया गया।  उल्लेखनीय है कि यह प्रकरण स्वेच्छा अनुदान मद-2016-17, 2017-18, 2018-19 के अन्तर्गत राशि में हुई अनियमितता से संबंधित है।

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