शेखर सुमन बोले- ‘मैं सुशांत के परिवार की तरफ से लड़ाई नहीं लड़ रहा’


नई दिल्ली. सालों से छोटे पर्दे से लेकर बड़े पर्दे तक अपनी शानदार अभिनय से दर्शकों के बीच अपनी जबरदस्त पहचान बना चुके दिग्गज अभिनेता शेखर सुमन इन दिनों बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर ट्विटर पर #justiceforsushanthforum के साथ एक मुहिम चला रहे हैं. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह यह लड़ाई सुशांत सिंह राजपूत के परिवार की तरफ से नहीं लड़ रहे हैं. शेखर सुमन ने बताया कि वह एक एक्टर के तौर पर दिवंगत सुशांत सिंह के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

एक एक्टर और बिहार से ताल्लुक रखने के नाते लड़ रहे हैं यह लड़ाई 
उन्होंने कहा, ‘मैं सुशांत के परिवार की तरफ से यह लड़ाई नहीं लड़ रहा हूं. सुशांत एक एक्टर था और बिहार से ताल्लुक रखने और एक एक्टर होने के नाते मुझे ऐसा लगा कि वह एक फिल्म का परिवार है. यहां पर कोई आवाज उठाता ही नहीं है. कोई लड़ता ही नहीं है. बस एक ट्वीट कर दिया और आगे बढ़ गए. अभी देखिए सरोज खान जी का निधन हो गया. सब लोगों ने ट्वीट किया, पर उनके अंतिम विदाई में कोई शामिल होने नहीं गया, जिन्होंने 60 साल लगा दिए बॉलीवुड में. भले ही पिछले 10 सालों से वह काम नहीं कर रही थीं, उनका नाम नहीं था. इसलिए कोई गया ही नहीं. वहीं आज कोई ऐसे आदमी की मौत हो जाए जिसका नाम बहुत है, तो देखिए वहां सभी लोग पहुंच जाएंगे. यह एक संगदिल इंडस्ट्री है, हालांकि ऐसा पहले नहीं था. पहले लोग एक-दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन अब यह इंडस्ट्री बहुत ज्यादा पत्थर दिल होती जा रही है.’

बॉलीवुड में नेपोटिज्म नहीं है
सुशांत के निधन के बाद एक बार फिर से नेपोटिज्म पर चर्चाएं होने लगी हैं. सोशल मीडिया पर लोग लगातार इस विषय पर बात कर रहे हैं, लेकिन शेखर सुमन का कहना है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म नहीं है. उन्होंने कहा, ‘बॉलीवुड में नेपोटिज्म है ही नहीं. नेपोटिज्म अगर रहता तो मुझे इंडस्ट्री का सबसे बड़ा ब्रेक कैसे मिलता, मैं तो बाहर से आया था. मुझे रेखा के साथ इतनी बड़ी फिल्म ‘उत्सव’ में ब्रेक कैसे मिलता, अगर नेपोटिज्म रहता. फिर तो शशि कपूर के लड़कों को ब्रेक मिलना चाहिए था. मेरे उस रोल को फिल्म इंडस्ट्री के अंदर से ही हजारों लोग करना चाह रहे थे. बगैर किसी को जाने और मुंबई आने के 10-15 दिनों के अंदर ही मुझे ‘उत्सव’ में काम करने का मौका मिला. अगर नेपोटिज्म होता तो बिना गॉडफादर के एक हीरो के रूप में मुझे इतना बड़ा रोल कैसे मिलता.’

बॉलीवुड में गैंगिज्म है
उन्होंने अपनी बातों आगे जारी रखते हुए कहा, ‘बॉलीवुड में गैंगिज्म है, नेपोटिज्म नहीं. यहां एक गैंग है, जो इस इंडस्ट्री पर कब्जा किया हुआ है और कब्जा करने बाद उस गैंग ने इसमें कई एक्टर, एक्ट्रेस, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को भी शामिल कर लिया है और इसका फैसला कर लिया कि हम लोग आपस में ही काम करेंगे.’ जब उनसे यह सवाल किया गया कि इंडस्ट्री में यह गैंग कब बना तो उन्होंने कहा, ‘ये गैंग बनता चला गया, जैसे-जैसे इंडस्ट्री बड़ी होती चली गई, वैसे-वैसे ये गैंग भी बड़ा होता चला गया. बड़ी सीधी सी बात है पहले तो फिल्में रिलीज हो जाती थीं किसी तरह हिंदुस्तान में, फिर फिल्में विदेशों में रिलीज होने लगीं. फिर धीरे-धीरे फिल्में 100, 200 और 400 करोड़ की बिजनेस करने लगीं, जबकि देखिए फिल्म ‘शोले’ 45 सालों में सिर्फ 11 करोड़ रुपये ही कमा सकी और अब तो फिल्म ओपनिंग डे पर ही 50-60 करोड़ की कमाई कर लेती है. आप सोचिए इस इंडस्ट्री में कितना पैसा है, तो पैसा कहां से आएगा, जब आप उस पर कब्जा करेंगे तभी तो ये सारे पैसों को आप नोंच पाएंगे.’

इन समस्याओं से जूझना पड़ता है आउटसाइडर्स को 
शेखर ने कहा, ‘आउटसाइडर्स के साथ सबसे बड़ी समस्या तब शुरू हो जाती है जब उनकी जिंदगी में दखलंदाजी शुरू हो जाती है, उनसे उनका काम छिन लिया जाता है. यही गैंगबाजी है कि अच्छा तुमने मुझे न कहा… मैं इतना बड़ा प्रोड्यूसर हूं तुमने मुझे न कहा.. अब मेरा जो गैंग है, मैंने उससे कहा कि इसे किसी फिल्म में मत लेना. अब चूंकि सारे बड़े लोग इस गैंग में शामिल हैं, तो सारी बड़ी फिल्मों से उसे निकाल दिया जाता. तो फिर वो जाए तो कहां जाए. वो दरकिनार हो जाता है या फिर उसको जो फिल्में मिलती हैं, वो भी उससे छिन ली जाती हैं.’

फिल्मों में अवॉर्ड्स को लेकर कही बड़ी बात
फिल्मों के लिए दिए जाने वाले अवॉर्ड्स को लेकर शेखर सुमन ने कहा, ‘बहुत सारे स्टोर्स के बच्चे मेकअप और स्टाइलिंग बाल और बॉडी बनाकर सिक्स पैक बनाकर आ जाते हैं, जिनका एक्टिंग से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं.. उनको बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड, उनको ये अवॉर्ड- वो अवॉर्ड सब दे दिया जाता है और यही गैंगिज्म है. गैंग ने कहा कि यह हमारा एक्टर है इसे अवॉर्ड मिलना चाहिए, तो उसे अवॉर्ड मिल जाता है. अब देखिए सुशांत की पहली फिल्म ‘काय पो छे’ जो लगभग 100 करोड़ की कमाई की थी. तो आइडियली फिल्म फेयर जो है वो कमर्शियल सक्सेस पर अवॉर्ड देती है, इसके बावजूद सुशांत को एक भी अवॉर्ड नहीं मिला. इस दौरान जिन्हें बेस्ट डेब्यू का अवॉर्ड मिला, उनको एक्टिंग का A नहीं मालूम. तो ये क्या दिखाता है? ये गैंगिज्म दिखाता है.’

खत्म हो सकता है बॉलीवुड से गैंगिज्म
शेखर सुमन ने कहा कि बॉलीवुड इंडस्ट्री से गैंगिज्म खत्म हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘ये सारी जो ताकत है वो जनता के हाथ में है. जनता को यह तय करना होगा कि किसको चढ़ाना है और किसको नहीं. विक्की कौशल को किसने बनाया? जनता ने. लोगों को उनकी फिल्म ‘उरी’ पसंद आई, तो उन्होंने विक्की कौशल को काफी ऊपर चढ़ा दिया. अब जनता को यह तय करना होगा कि टैलेंट को देखने जाना है. पैसे अगर खर्च करने हैं तो उनकी मूवी में मत कीजिए, जो घटिया फिल्में और डिजाइनर फिल्में बना रहे हैं. उसका बहिष्कार कीजिए और जो रियल टैंलेट है उसको आप प्रमोट कीजिए.’ उन्होंने आगे कहा कि अब तो सोशल मीडिया है, रियल टैलेंट को देखकर आइए और उसके बारे में अगर दो लाख लोगों ने भी सोशल मीडिया पर लिख दिया तो वो बड़ा बन जाएगा.’

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!