सऊदी अरब के बड़े तेल ठिकानों पर ड्रोन हमले के बाद कच्चे तेल के दामों में लगी आग!

नई दिल्ली. सऊदी अरब के बड़े तेल ठिकानों पर शनिवार को हुए ड्रोन हमले के बाद कच्चे तेल के दामों में बड़ा उछाल देखने क मिल रहा है. सऊदी अरब के अबकैक और खुरैस फैसिलिटी पर ड्रोन से हमले हुए. यमन के हूती विद्रोहियों ने ड्रोन हमले की जिम्मेदारी ली. ऑयल रिफाइनरी पर आग के चलते सऊदी अरब में कच्चे तेल का करीब आधा प्रोडक्शन रुका है.  सप्लाई पूरी तरह सामान्य होने में कई हफ्ते लग सकते हैं. 

इधर, कच्चे तेल की आपूर्ति घटने से दामों में उछाल देखा जा रहा है. ब्रेंट क्रूड में करीब 13% का उछाल, भाव $68 के ऊपर हो गए हैं. क्रूड में 3 साल में यह सबसे बड़ा उछाल है. एनालिस्ट्स के मुताबिक क्रूड में $10 का उछाल संभव है. 15 सितंबर को कच्चे तेल के दाम 68.41 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए. 

सऊदी अरामको के संयंत्रों पर हमले की वजह से प्रतिदिन 57 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन ठप है. यह सऊदी से प्रतिदिन होने वाले निर्यात का आधे से भी अधिक है और दुनिया के कुल उत्पादन का करीब 5 फीसदी है. सऊदी हमले के लिए अमेरिका ईरान पर आरोप लगा रहा है, वहीं ईरान युद्ध की चेतावनी दे रहा है. इस चिंता से दुनिया भर में कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं.

अबकैक, खुरैस प्लांट क्यों अहम?
अबकैक दुनिया की सबसे बड़ी ऑयल प्रॉसेसिंग फैसिलिटी. अबकैक प्लांट से 70 लाख बैरल/दिन की प्रॉसेसिंग क्षमता है. सऊदी अरब सबसे ज्यादा सप्लाई एशियाई देशों को करता है. 1990 के बाद सऊदी के ऑयल इंफ्रा पर सबसे बड़ा हमला है. खुरैस सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा ऑयल फील्ड है. 

कौन हैं हूती विद्रोही?
लंबे वक्त से सऊदी और यमन सरकार के खिलाफ युद्धरत है. पिछले महीने शयबाह नेचुरल गैस साइट पर हमला किया था. 2015 से यमन सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. यमन की राजधानी सना समेत ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा है. यमन की सेना की मदद करने से सऊदी भी निशाने पर है. माना जाता है कि ईरान हूती विद्रोहियों की मदद करता है. 



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