साधु-संतों ने पृथ्वीराज चव्हाण को लगाई लताड़, पूछा- मंदिरों के सोने पर कांग्रेस की नजर क्यों?


नई दिल्ली. धार्मिक ट्रस्टों के स्वर्ण भंडार को नियंत्रण में लेने के कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) के सुझाव पर विवाद बढ़ता जा रहा है. 13 मई को सुझाव देने के बाद कल सफाई में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि उनके सुझाव को गलत तरीके से पेश किया गया है.

पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि गोल्ड डिपॉजिट स्कीम तो वाजपेयी सरकार ने शुरू की थी और 2015 में मोदी सरकार ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम लाया था.  जिसके बाद कई मंदिरों ने अपना सोना भी गिरवी रखा है. पृथ्वीराज चव्हाण ये भी कह रहे हैं कि वो अपने बयान को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करने  वालों पर कारवाई करेंगे. उधर, विश्व हिंदू परिषद ने पृथ्वीराज चव्हाण के बयान पर ये कहकर सवाल उठाया है कि जब वक्फ बोर्ड और चर्च के पास भी अपार संपत्ति है तो फिर कांग्रेस को मंदिरों पर ही नजर क्यों है.

कुछ नाराज संत ये कह रहे हैं कि पहले कांग्रेस नेताओं की संपत्ति जब्‍त होनी चाहिए. बीजेपी ने पूछा है कि क्या पृथ्वीराज चव्हाण का बयान कांग्रेस की आधिकारिक सोच है?

साधु संत, वीएचपी, बीजेपी ने जब पृथ्वीराज चव्हाण के सुझाव पर आपत्ति जताई तो पृथ्वीराज चव्हाण सफाई में ये कह रहे हैं कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया है. बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस के नेता अपनी संपत्ति के बारे में क्यों कुछ नहीं कहते.

एक बार फिर से आपको समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने आखिर कौन सा ऐसा सुझाव दिया जिसपर संत समाज भड़क उठा है.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि देश के धार्मिक ट्रस्टों, मंदिरों में सोना पड़ा हुआ है इस सोना को सरकार को ब्याज पर ले लेना चाहिए. एक-दो फीसदी ब्याज की दर पर मंदिरों और ट्रस्टों से ये सोना ले लिया जाना चाहिए. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक देश के अलग-अलग धार्मिक ट्रस्टों के पास 75 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का सोना है, ये सोना राष्ट्र की संपत्ति है.

कोरोना संकट से निपटने के लिए कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण के इस सुझाव के बाद से संत समाज भड़क उठा है. सुमेरु पीठ के शंकराचार्य  नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सबसे पहले कांग्रेस के नेताओं की संपत्ति का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए. मंदिरों की संपत्ति देश की नहीं मंदिरों की है. संत समाज का मानना है कि मंदिरों की संपत्ति पर कांग्रेस की हमेशा से नजर रही है. संतों ने सरकार को सुझाव दिया कि उसे सबसे पहले कांग्रेस नेताओं की संपत्तियां जब्त करनी चाहिए.

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