सिंधी समाज ने चंद्र दिवस अपने-अपने घर में मनाया

बिलासपुर. चंद्र दिवस के पावन दिन रविवार को सिंधी समाज ने अपने अपने घरों में अपने इष्ट देव भगवान झूलेलाल जी की आरती की घरों के बाहर दीपक जलाए गए। अरदास की गई पल्लव पाया अख्खो  पाया समस्त विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की गई। भगवान झूलेलाल के भजन गाए चंद्र दिवस के ही दिन  सिंधी समाज के इष्ट देव भगवान झूलेलाल जी का जन्म हुआ था। इसे हम चेत्री चंद कहते हैं जो साल में एक बार आता है। लेकिन यह चंद्र हर महा आता है चंद्र दिवस सिंधी समाज के लिए महत्वपूर्ण क्यों है हमारे बड़े बुजुर्ग बताते हैं। इसी दिन भगवान झूलेलाल  जी का जन्म हुआ था ।और चंद्र के दिन शुभ कार्य किए जाते हैं, उस दिन कहा जाता है चंद्रमा आकार में और बड़ा दिखता है ।जो शुभ होता है चंद्र के दिन झूलेलाल मंदिर में जाते  वह नदी किनारे जाकर मीठी चावल की ताह्यारी  व कच्चा चावल शक्कर एक कटोरी में ले जाते हैं। अरदास करते हैं अख्ओ पाते हैं पल्लव पाकर भगवान झूलेलाल जी की प्रार्थना की जाती है ।वह नदी में दीपक जलाकर  प्रवित  जाता है। घर में आकर सबको प्रसाद बांटा जाता है जल का छिड़काव किया जाता है जो नदी से लेकर आते हैं वह छोटे अपने बड़ों से  आशीर्वाद लेते हैं वह बड़े उन्हें शगुन के  तौर कुछ रुपए  देते हैं  झूलेलाल मंदिर झूलेलाल  नगर चकरभाठा के संत लाल साई जी के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से वह अखबारों के माध्यम अपील  गई थी कि चन्द्र दिवस  सिंधी समाज अपने अपने घरों में मनाए  अपील को स्वीकारते हुए समस्त सिंधी समाज ने देश भर में चंद्र दिवस अपने-अपने घर में मनाया।

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