हाथरस केस: राहुल-प्रियंका के खिलाफ FIR, HC ने शीर्ष अधिकारियों को किया तलब


नई दिल्ली. हाथरस जाने के लिए निकले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ग्रेटर नोएडा में रोक दिया गया. उनको हिरासत में लेने के बाद रिहा कर दिया गया. हालांकि उनके साथ-साथ दीपेंद्र हुड्डा सहित 153 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा महामारी  अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है. 50 लोग है मुकदमे में अज्ञात है. ग्रेटर नोएडा की इकोटेक एक कोतवाली में बीमारी के संक्रमण फैलने की संभावना के दौरान जानबूझकर घातक कृत्य करना (धारा 270) और सरकारी आदेशों का उल्लंघन करना व महामारी अधिनियम (धारा 188) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई है. वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस (Hathras) जिले में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी मौत के मामले में गुरुवार को राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों को समन भेजा है.

गौरतलब है कि दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब दोनों दलित बालिका के परिवार से मुलाकात के लिए हाथरस जाने पर अड़े हुए थे. आनन-फानन में इस युवती के शव का अंतिम संस्कार किये जाने की देशभर में जबर्दस्त निंदा की गई.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा कि राहुल, प्रियंका और अन्य 150 नेताओं को निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर हिरासत में लिया गया लेकिन निजी मुचलका जमा करने पर उन्हें छोड़ दिया गया. यमुना एक्सप्रेसवे पर बहुत विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई. उत्तर प्रदेश पुलिस ने राहुल गांधी को रोकने के लिए उनके साथ कथित रूप से धक्का-मुक्की की जिस कारण वह जमीन पर गिर गए. हाथरस कांड को लेकर जगह जगह प्रदर्शन हुए. उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि यह युवती बलात्कार की पीड़िता नहीं थी.

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक को समन जारी कर सभी से 12 अक्टूबर को अदालत में पेश होने और मामले में स्पष्टीकरण देने को कहा है. पीठ ने युवती के माता-पिता से भी कहा है कि वे अदालत आकर अपना पक्ष रखें.

लखनऊ में अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, ‘एफएसएल की रिपोर्ट आ गई है. उसमें स्पष्ट कहा गया है कि सैंपल में शुक्राणु नहीं मिले हैं. इससे स्पष्ट हो जाता है कि बलात्कार या सामूहिक बलात्कार नहीं किया गया.’ उन्होंने कहा कि वारदात के बाद युवती ने पुलिस को दिए गए अपने बयान में भी अपने साथ बलात्कार होने की बात नहीं कही थी. उन्होंने कहा कि उसने सिर्फ मारपीट किए जाने का आरोप लगाया था.

उन्होंने कहा कि लेकिन पुलिस ने यौन हमले के आरोप के बाद प्राथमिकी में बलात्कार का आरोप जोड़ा. हालांकि विशेषज्ञों ने सवाल उठाया कि क्या शुक्राणु नहीं मिलना निर्णायक ढंग से बलात्कार की संभावनाओं को नकारता है. हाथरस में अपने गांव में 14 सितंबर को ऊंची जाति के चार व्यक्तियों ने कथित रूप से इस युवती के साथ मारपीट की थी और घायल लड़की ने बाद में दम तोड़ दिया.

इस युवती का हाथरस में आधीरात को अंतिम संस्कार कर दिया गया. उसके परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें शव घर लाने नहीं दिया गया. लेकिन पुलिस का दावा है कि अंतिम संस्कार में परिवार की सहमति थी. आनन-फानन में किये गये अंतिम संस्कार को लेकर विपक्षी दलों और अन्य संगठनों ने उत्तर प्रदेश सरकार को निशान पर लिया.

विपक्ष ने साधा निशाना
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर कड़ा हमला करते हुए केंद्र सरकार से राज्य में नेतृत्व परिवर्तन करने या राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि एक बार देवी सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था और हाल ही में हाथरस में सामूहिक बलात्कार और बर्बरता की शिकार युवती के शव को भी रात के अंधेरे में चिता की अग्नि के हवाले कर दिया गया.

हाथरस जाने से रोके जाने के बाद राहुल गांधी और प्रियंका ने राज्य में ‘जंगलराज’ होने एवं पुलिस द्वारा लाठियां चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें ‘अहंकारी सरकार’ की लाठियां रोक नहीं सकतीं’. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दुख की घड़ी में अपनों को अकेला नहीं छोड़ा जाता. उप्र में जंगलराज का ये आलम है कि शोक में डूबे एक परिवार से मिलना भी सरकार को डरा देता है। इतना मत डरो, मुख्यमंत्री महोदय!’.

वहीं प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘हाथरस जाने से हमें रोका. राहुल जी के साथ हम सब पैदल निकले तो बार-बार हमें रोका गया, बर्बर ढंग से लाठियां चलाईं. कई कार्यकर्ता घायल हैं. मगर हमारा इरादा पक्का है. एक अहंकारी सरकार की लाठियां हमें रोक नहीं सकतीं. काश, यही लाठियां, यही पुलिस हाथरस की दलित बेटी की रक्षा में खड़ी होती.’

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. उत्तर प्रदेश में बहनों को न्याय नहीं मिलता. यह कोई पहली बार नहीं है. आपको याद होगा कि पिछले साल भी इसी वक्त हम उन्नाव की बेटी की लड़ाई लड़ रहे थे.’ उन्होंने सवाल किया कि माता-पिता की अनुमति के बिना रात के समय अंतिम संस्कार कर देना कौन सा धर्म है?

उत्तर प्रदेश में सुरक्षित नहीं है बेटियां
इससे पहले उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है. बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. उत्तर प्रदेश में जंगलराज है.’ उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. उत्तर प्रदेश में बहनों को न्याय नहीं मिलता. यह कोई पहली बार नहीं है. आपको याद होगा कि पिछले साल भी इसी वक्त हम उन्नाव की बेटी की लड़ाई लड़ रहे थे.’

सरकार को नींद से जगाने की जरूरत
प्रियंका ने दावा किया कि जब तक सरकार को झकझोरा और जगाया नहीं जाएगा तब तक वह महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं करने वाली है. यह घटना (हाथरस सामूहिक बलात्कार) बहुत अन्यायपूर्ण थी और उसके बाद सरकार ने शव के अंतिम संस्कार में जो किया वह तो और भी बड़ा अपमान था.

राज्य कैबिनेट मंत्री ने साधा राहुल गांधी पर निशाना
इस बीच, राज्य सरकार के प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने राहुल और प्रियंका पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ये जो भाई-बहन दिल्ली से चले हैं, उन्हें राजस्थान जाना चाहिये था. जहां भी ऐसी घटना होती है, वह जघन्य अपराध होता है. राजस्थान में भी वारदात हुई थी, मगर कांग्रेस हाथरस की घटना पर गंदी राजनीति कर रही है.’

हाथरस में धारा 144 लागू
उधर, हाथरस जिलाधिकारी पी.के. लक्षकार ने बताया कि जिले में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है जो आगामी 31 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी. जिले की सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं. उन्होंने सभी से जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है.

देशभर में विरोध के बाद SIT का हुआ गठन
इस घटना को लेकर देशभर में जगह-जगह प्रदर्शन किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फोन कर इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने को कहा था. राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिये बुधवार को तीन सदस्यीय विशेष जांच दल गठित किया है. इसे सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है.

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