हाथी से नुकसान के मुआवजा के लिये भटक रहे ग्रामीण

सूरजपुर/धीरेन्द्र कुमार द्विवेदी. जिले के  प्रतापपुर वन परी क्षेत्र के टुक्कू डाँड़ सर्किल के ग्राम मशगा में 4 हाथियों के दल ने 14 अगस्त की रात को ग्रमीणों के फसलों को नुकसान पहुँचाया था । जिसमे ग्रमीणों के गन्ना, मक्का, धान, उड़द, और ग्रमीणों के सिचाई में आने वाले पाइप को नुकसान पहुँचाया था। जिसके बाद वन विभाग के कर्मचारी दूसरे दिन मोके में आय और ग्रमीणों के द्वारा कुछ औपचारिक लिखा पढ़ी कर के ले गए। जिसमे ग्रमीणों ने आरोप लगाया कि आप जब मौका जांच में आय है तो हमारे सामने जो भी हमारे फसल का नुकसान होता है उसका  मुआवजा बनाये। लेकिन वन विभाग के कर्मचारी ने कहा कि वे अपने नियम  के अनुसार ही काम करेंगे।
जिसमे वन विभाग और ग्रमीणों में तनातनी का माहौल रहता है।  ग्रमीणों का यह भी आरोप है कि हमारा नुकसान अधिक होता है लेकिन विभाग द्वारा हमे मामूली रकम का  मुआवजा बना कर अपना कॉलम विभाग द्वारा पूरा कर लिया जाता है। जिसके बाद इसी  मुआवजा के प्रकरण को बनवाने के लिए ग्रमीण वन विभाग के चक्कर काट रहे हैं  लेकिन विभाग द्वारा कोई ठोस जवाब नही दिया जा रहा है हाथियों के द्वारा फसल को नुकसान किये ग्रमीणों में विनोद पिता नन्द लाल, प्रभास जयसवाल पिता बसरोपन, गंगोत्री देवी पति रमेश जयसवाल, अरविंद पिता बैसाखो हैं।
फसलों के  मुआवजा को लेकर ग्रमीणों और वन विभाग के कर्मचारियों में रहती है तना तनी।  वन विभाग प्रतापपुर में कई दलों में हाथियों का दल छेत्र में विचरण कर रहा है । अभी खेती बाड़ी का सीजन होने के कारण हाथी आय दिन गांव के ग्रामीणों के फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। जिसमे  मुआवजा प्रकरण को लेकर ग्रमीण और वन विभाग के कर्मचारियों में हमेशा कहा सुनी भी होती है और कंही कंही बात लड़ाई झगड़े तक भी आ जाती है अभी हाल में ही ग्राम सिंघरा में ग्रमीणों द्वारा वन विभाग के कर्मचारी से हाथी मुआवजा प्रकरण को लेकर मारपीट भी हो गई थी जिसके बाद इसकी शिकायत विभाग के द्वारा प्रतापपुर थाने में की गई है। ग्रमीणों का आरोप है कि विभाग के द्वारा हाथियों के द्वारा नुकसान किये गये फसलों में काफी कम राशि विभाग के द्वारा ग्रमीणों को दी जाती है।।
कही मुआवजा की कम राशि मिलने के कारण ग्रामीण तरंगित तार लगा अपने फसलों को बचाने के लिए  हाथियों को मार रहे? हाथियों के द्वारा ग्रमीणों के फसल नुकसान में कम राशि के  भुगतान के कारण हमेसा ग्रमीणों और विभाग के कर्मचारियों में तनातनी रहती है। ग्रमीणों के द्वारा बताया जाता है कि जैसे धान की फसल में प्रति  एक एकड़ नुकसान होता है तो विभाग द्वारा नौ हजार रुपये का मुआवजा राशि  विभाग के द्वारा बनाया जाता है जो किसान की  फसल की लागत भी वसूल नही हो पाती जो किसान अपने खेत मे धान ,बीज खाद  जोताई में लगाता है। जिससे अक्सर ग्रामीण अपने खेतों में तरंगित तारो से अपने खेतों का घेरावा करते हैं ताकि वह उनके खेतो में ना घुस पाय कही कही ग्रमीणों द्वारा जान बूझकर हाथियों को मारने के लिए नंगी करेंट के तारो का घेरावा करते हैं और तो और कंही कंही हाथियों को मारने के लिये जहर भी ग्रामीणों द्वारा हाथियों को दिया जाता है।
ताकि वह अपने फसलों को हाथियों के नुकसान से बचा सके अगर किसानों को उनके नुकसान के बराबर राशि का भुगतान हो तो ग्रामीण भी निश्चिंत रहेगा कि अब हाथी जो भी फसल को नुकसान  पहुंचाएगा तो विभाग के द्वारा उसके लागत मूल्य के बराबर राशि दी जाएगी। किंतु यैसा न होने के कारण ग्रामीण और वन विभाग के कर्मचारियों में मतभेद रहता है। जिसके चलते आज तक कई हाथियों की मौत हो चुकी है । मनोज विश्वकर्मा एसडीओ फारेस्ट प्रतापपुर ने कहा कि हमारे कर्मचारी जंहा भी हाथियों द्वारा नुकसान  किया गया है वँहा फसलों की जांच कर नियमानुसार फसल का  मुआवजा बनाया जाता है।

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