क्रय की गई कृषि भूमि को कम्प्यूटर में चढ़वाने की ऐवज में रिष्वत लेने वाले पटवारी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । क्रय की गई कृषि भूमि को कम्प्यूटर में चढ़वाने की ऐवज में रिष्वत लेने वाले पटवारी आरोपी राजीव तिवारी को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 12.09.2018 को आवेदक प्रमेंद्र सिंह ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक लिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि उसकी चाची ने कुछ वर्ष पूर्व कृषि भूमि क्रय की थी, जिसे कम्प्यूटर में चढ़वाना था अपनी चाची के कहने पर वह ततकालीन पटवारी अभियुक्त राजीव तिवारी से मिला, जिसने जमीन फीड कराने के ऐवज् में उससे 4,000/-रु. (चार हजार रुपये) की मांग की, यह बात उसने अपनी चाची को बतायी तो उसने रिश्वत देने से मना किया व अभियुक्त को रिष्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़वाने के लिए लोकायुक्त पुलिस में शिकायत करने को कहा, अभियुक्त के विरूद्ध कार्यवाही की जाए। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. लोकायुक्त कार्यालय, सागर ने उक्त शिकायत आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु निरीक्षक संतोष कुमार जामरा को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई। टेªप हेतु नियत दिनॉक को टेªपदल लोकायुक्त कार्यालय सागर से रवाना हुआ एवं आवेदक को वॉयस रिकार्डर देकर अभियुक्त के किराये के ऑफिस के अंदर भेजा गया तथा ट्रेेपदल के सभी सदस्य नजरी लगाव रखते हुए वहीं आस-पास खड़े हो गये, थोड़ी देर बाद आवेदक ने निर्धारित इशारा किया तो ट्रेेपदल के सदस्य अभियुक्त के किराये के ऑफिस के अंदर प्रवेश कर अभियुक्त को घेर लिया। निरीक्षक संतोष कुमार जामरा ने अपना व टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, अभियुक्त से रिश्वत राशि केे संबंध में पूछा, तो उसने आवेदक से रिश्वत राशि हाथ में लेकर फुलपेंट की दाहिनी जेब में रखे पर्स में रख लेना बताया। तत्पश्चात् घोल आदि की अग्रिम कार्यवाही की गई। उक्त आधार पर प्रकरण पंजीवद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया । विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेखबद्ध किये गये , घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया उन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7, 13(1)(बी) सहपठित धारा 13(2)का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।