रिश्वत लेने वाले आरोपी को 04 वर्ष एवं सह-आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास

सागर .   आपराधिक प्रकरण मजबूत बनाने के ऐवज  में रिष्वत लेने वाले आरोपी  हाकिम सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड, घारा-13(1)(डी)/13(2) के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड तथा सह-आरोपी अखिलेष निवारे को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-12 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड, की सजा से विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दंडित किया है।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 27.12.17 को आवेदक हल्केभाई केवट ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक हस्तलिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि दिनांक  07.12.17 को उसके ममेरे भाई कैलाश ने विनोद चढ़ार के विरूद्ध उसके साथ  कुल्हाड़ी से मारने के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध करायी थी, विवेचक अभियुक्त हाकिम सिंह द्वारा उक्त प्रकरण को मजबूत बनाने के एवज में 15,000/-रू. रिश्वत राशि की मांग की जा रही है, वह रिश्वत नहीं देना चाहता है, बल्कि अभियुक्त को रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई । नियत दिनॉक को अभियुक्त ने आवेदक को एक आरक्षक के साथ मोटरसाइकिल पर बिठाकर फोरलाइन (एन.एच.26) की ओर रवाना कर दिया और दूसरी मोटरसाइकिल से उनके पीछे गया, ट्रªेपदल ने भी उनका पीछा किया। आवेदक व आरक्षक अखिलेश निवारे सिद्धी विनायक ढाबा के पास मोटरसाइकिल रोककर खड़ा हो गया, थोड़ी दूरी पर अभियुक्त हाकिम सिंह भी अपनी मोटरसाइकिल रोककर खड़ा हो गया, कुछ समय बाद आवेदक ने पूर्व निर्धारित इशारा किया तो अभियुक्त हाकिम सिंह ने आरक्षक अखिलेश निवारे को रवाना कर दिया, टेªपदल ने मौके पर पहुंचकर अभियुक्त हाकिम सिंह को घेरे में लिया, परिचय आदान-प्रदान के बाद अभियुक्त हाकिम ने पूछने पर बताया कि उसके कहनेे पर आवेदक ने रिश्वत राशि सहअभियुक्त आरक्षक अखिलेश को दी थी जिसे उसने थाना सुरखी के लिए रवाना कर दिया ट्रेपदल अभियुक्त हाकिम सिंह को लेकर थाना सुरखी आया, जहां अभियुक्त ने थाना परिसर के सामने चाय की दुकान पर खड़े आरक्षक का अखिलेश निवारे होना बताया तब सहअभियुक्त अखिलेश निवारे को घेरे में लिया गया, परिचय आदान-प्रदान के बाद सहअभियुक्त अखिलेश ने अभियुक्त हाकिम के कहने पर रिश्वत राशि 6,000/-रू. लेकर अपने पर्स में रख लेना बताया। मौके पर लिखी-पढ़ी की व्यवस्था न होने से अभियुक्तगण को पुलिस थाना सुरखी ले जाया गया, वहां अग्रिम कार्यवाही की गई। उक्त आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया।विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा- 7, 12,13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।

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