जमीन का नामांतरण कराने एवं फौती उठवाने की एवज में रिष्वत लेने वाले आरोपी को 04 वर्ष का सश्रम कारावास

सागर । जमीन का नामांतरण कराने एवं फौती उठवाने की एवज में रिष्वत लेने वाले आरोपी कृष्णकांत मशराम को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा-201 के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 15.03.2021 को आवेदक राजू चौरसिया ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक लिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि उसके पिता मुन्नालाल ने वर्ष 2002 में ग्राम केंकरा मौजा में 0.75 डिसमिल जमीन क्रय की थी, उसके पिता का वर्ष 2019 में स्वर्गवास हो जाने के बाद वह उक्त जमीन पर अपने पिता के नामांतरण कराने एवं फौती उठवाने (स्वामी की मृत्यु उपरांत उसके वारिसों के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज करने की कार्यवाही) के लिये तहसील कार्यालय केसली में बाबू के पद पर पदस्थ अभियुक्त मशराम से मिला तो अभियुक्त ने उक्त कार्य कराने के ऐवज् में उससे 3,500/-रु. रिश्वत राशि की मांग की, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है, अतः कार्यवाही की जाए। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. लोकायुक्त कार्यालय, सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु निरीक्षक बी.एम.द्विवेदी को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई । नियत दिनॉक को टेªपदल द्वारा आवेदक को अभियुक्त से सम्पर्क करने के लिये तहसील कार्यालय के गेट पर भेजा, जहां एक व्यक्ति, जो बरमूंडा एवं टी-शर्ट पहने हुये था, आवेदक से बातचीत करने लगा, थोड़ी देर बाद आवेदक ने निर्धारित इशारा किया तो टेªपदल ने उस व्यक्ति को चारों ओर से घेर लिया फिर आवेदक से रिश्वत राशि के बारे में पूछे जाने पर आवेदक ने बताया कि उसने अभियुक्त को रिश्वत राशि दे दी है, जो अभियुक्त ने हाथ में लेकर अपने पहने हुये बरमूंडा की बायीं जेब में रख ली है। निरीक्षक बी.एम.द्विवेदी ने अपना व टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त किया, मौके पर लिखा-पढ़ी की उचित व्यवस्था न होने से अभियुक्त को उसी अवस्था में थाना केसली ले जाया गया, जहां घोल आदि की अग्रिम कार्यवाही की गई। उक्त आधार पर प्रकरण पंजीवद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया । विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेखबद्ध किये गये , घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया उन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7, भा.द.वि. की धारा- 201, 204 अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है

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