न्यायालय में झूठी गवाही देने वाले पति पत्नि को 1-1 वर्ष को कठोर कारावास

सागर. न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी सागर के न्यायालय ने न्यायालय में मिथ्या कथन देने के आरोप में अभियुक्त श्रीमति उमारानी पत्नि जगमोहन कुर्मी उम्र 45 वर्ष तथा जगमोहन पिता कुंवरमन कुर्मी उम्र 47 वर्ष निवासी ग्राम अनंतपुरा तहसील रहली जिला सागर को दोषी पाते हुए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 193 के अंतर्गत 1-1 वर्ष का कठोर कारावास और 500-500 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित करने का आदेश दिया। राज्य शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अमित जैन (जूनि.) ने की। अभियोजन के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया कि न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सागर के सत्र प्रकरण में दिनांक-06.02.2007 में पारित निर्णय अनुसार अभियोक्त्री और उसके पति को धारा 340 द.प्र.सं. के अंतर्गत नोटिस दिया गया कि क्यों न उसके विरूद्ध न्यायालय में असत्य कथन करने के आधार पर या असत्य कार्यवाही करने के आधार पर उन्हें अभियोजित किया जावे। उक्त नोटिस के जबाव संतुष्टिजनक न होने से न्यायालय द्वारा अभियुक्तगण के विरूद्ध हस्तगत प्रकरण में प्रस्तुत परिवाद संस्थित करने का आदेश पारित किया गया तथा उक्त आदेश के आधार पर हस्तगत प्रकरण अभियुक्तगण के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 193 के अंतर्गत अपराध का प्रकरण पंजीबद्ध कर उन्हें सूचना पत्र प्रेषित किया गया। साक्ष्य विवेचना के आधार पर अभियोजन अभियुक्तगण के विरूद्ध यह युक्तियुक्त संदेह के परे प्रमाणित करने में सफल रहा है कि अभियुक्तगण ने माननीय तृतीय अपर सत्र न्यायालय सागर में दिनांक-18.09.2006 को सत्र प्रकरण क्रमांक-155/05 के विचारण के दौरान साक्ष्य में ऐसा कथन किया जिसके बारे में उन्हें ज्ञात था कि वह मिथ्या है। माननीय न्यायालय ने अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत सबूतों और दलीलों से सहमत होते हुए अभियुक्तगण भादवि की धारा 193 अंतर्गत 1-1 वर्ष के कठोर कारावास और  500-500 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित करने का निर्णय पारित किया।

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