बिलासपुर. प्रदेश में अनूसचित जाति वर्ग और पिछड़ा वर्ग की संख्या बहुतायात है। प्रदेश के आधे से ज्यादा विधानसभा सीट में जीत हार के लिये अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग व अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। कांग्रेस की सरकार जाने के पूर्व भारतीय जनता पार्टी लगातार तीन पंचवर्षीय योजना में पूर्ण
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. नगर निगम तोडू दस्ता के दो पहलवान, पानी के मास्टर बन गए हैं। मामला अतिक्रमण शाखा के दो पिछलग्गु नियमित और एक अनियमित कर्मचारियों का है। छत्तीसगढ़ में लोकड़हीन की परंपरा बिलासपुर नगर निगम निभा रहा है। तभी तो तोडू दस्ते के कर्मचारी अब तोडफ़ोड़ की बजाए, स्वीमिंग पुल में छपाक.. छपाक.. करवा
बिलासपुर. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण रोहित झा के मार्गदर्शन एवं निर्देशानुसार मुखबिर की सूचना मिलने पर की ग्राम सीपत नावाडीह राज मेडिकल हॉल संचालक मनोज गुप्ता द्वारा प्रतिबंधित नशीली सिरप कैप्सूल टेबलेट अवैध रूप से बिना डॉक्टर के पर्चे के रखकर बिक्री कर रहा है lपर एनडीपीएस एक्ट के
बिलासपुर. विशेष अभियान के तहत आपराधिक व असामाजिक तत्वों , गुंडा निगरानी बदमाशों पर की गई कार्यवाही साथ ही विभिन्न मामलों के फरार आरोपियों की की गई गिरफ्तारी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर के नेतृत्व में जिले के समस्त राजपत्रित अधिकारी, थाना प्रभारी व पूरा अमला अभियान में हुआ शामिल।चेकिंग के दौरान की 65 से अधिक
बिलासपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में बिलासपुर के कोनी में 120 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले अत्याधुनिक ‘राज्य कैंसर संस्थान‘ का भूमि-पूजन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि राज्य कैंसर संस्थान कैंसर के इलाज के लिए आवश्यक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगा
बिलासपुर. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद गुरु घासीदास विश्वविद्यालय इकाई ने पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए एक सेमिनार आयोजित किया।जैसा की पूर्व से हीं ज्ञात है की देश के कई विश्वविद्यालयों में पीजी में दाखिला लेने के लिए एनटीए (NTA) के द्वारा इस वर्ष सीयुइटी की परीक्षा का आयोजन किया जा
भगत सिंह के महत्वपूर्ण साथी भगवतीचरण वोहरा का जन्म 4 नवंबर, 1903 को लाहौर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। वे एक गुजराती ब्राह्मण थे। उनके पिता पंडित शिवचरण वोहरा रेलवे में एक उच्च पदस्थ अधिकारी थे। उन्हें अंग्रेजों द्वारा ‘रायसाहब’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। चूंकि उस समय टाइपराइटर नहीं था, इसलिए भगवती चरण